Gaya।दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के शिक्षा पीठ के शिक्षक शिक्षा विभाग द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की मालवीय मिशन-शिक्षक प्रशिक्षण योजना के तहत उच्च-शिक्षा शिक्षकों के राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ओरिएंटेशन एवं सेन्सिटिज़ेशन हेतु आठ-दिवसीय शिक्षक विकास कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलवार (30 जुलाई, 2024) को हुआ | जन सम्पर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि ऑनलाइन मोड के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों एवं उच्च शिक्षा से सम्बंधित विभिन्न संस्थाओं में काम कर रहे देश के 12 राज्यों के 86 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं |
कार्यक्रम केऔपचारिक उद्घाटन के पश्चात सीयूएसबी के विधि एवं शासन प्रणाली पीठ के विभागाध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रो. संजय प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा स्वागत भाषण दिया गया। डॉ. तरुण कुमार त्यागी, निदेशक, मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर (एमएमटीसी- सीयूएसबी) ने कार्यक्रम का विस्तृत परिचय देते हुए इस कार्यक्रम की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु भूमिका पर प्रकाश डाला।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता प्रो. संजय महावीर राम पासवान, पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्य मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं प्रो. श्रम एवं समाज कार्य विभाग, पटना विश्वविद्यालय ने छात्रों में सीखने की उत्सुकता के समय सीमाओं के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यदि आप साधक हैं, तो सीखने की कोई सीमा नहीं है, लेकिन यदि आप साधक नहीं हैं, तो यह आपकी दृष्टि और सीखने की उत्सुकता को सीमित करता है। इसलिए, ज्ञान प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपने अहंकार को पीछे छोड़ देना चाहिए और साधक बनने की यात्रा के दौरान भूलने और सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए। उनका मुख्य ध्यान मानवीय उत्कृष्टता पर था और उन्होंने समस्या से निपटने के लिए चार संकल्पों पर प्रकाश डाला जो क्रमशः योजना, लोग, शांति और साझेदारी हैं।
तत्पश्चात सीयूएसबी के कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में गुरु-शिष्य संबंधों के महत्व पर चर्चा की जो कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख तत्वों में से एक है। उन्होंने ‘शिक्षार्थ आइए, सेवार्थ जाइए’ की अवधारणा पर प्रकाश डाला। भारतीय भाषाओं में शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने छात्रों को जीवन कौशल के चार सूत्रों; संचार, समन्वय, टीम भावना और लचीलापन को अपनाने पर भी प्रकाश डाला।
दूसरे सत्र में प्रो, परमेंद्र कुमार बाजपेई, कुलपति, जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा, बिहार ने एनईपी 2020 को भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलने के उद्देश्य से लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन निर्धारित करने वाला एक उद्देश्यपूर्ण दस्तावेज बताया। प्रो बाजपेयी ने समग्र और बहु-विषयक शिक्षा के बीच अंतर को समझाते हुए प्राचीन भारत के उच्च शिक्षा केंद्रों के बहु-विषयक दृष्टिकोण और भारत में 19वीं शताब्दी के मध्य तक शिक्षा के महत्व और विस्तार की चर्चा की। उन्होंने प्रत्येक पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली के बारे में एक इकाई के रूप में सम्मिलित करने का भी सुझाव दिया। प्रो. बाजपेयी ने अनुशासनात्मक, बहु-विषयक, अंतः-विषयक, क्रॉस-अनुशासनात्मक और ट्रांस-अनुशासनात्मक शिक्षा मॉडल की अवधारणा के बारे में भी विस्तारपूर्वक चर्चा की।
कार्यक्रम के पहले दिन का संचालन डॉ. कुमारी नीतू, सहायक प्राध्यापक, विधि विभाग ने किया जबकि समापन संबोधन डॉ० दिग्विजय सिंह, समन्वयक, एमएमटीसी- सीयूएसबी द्वारा सभी रिसोर्स पर्सन्स, प्रतिभागियो एवं वर्चुअल मेटिंग में जुड़े हुए सभी शिक्षकों एवं सहयोगियों को धन्यवाद ज्ञापन द्वारा किया। कार्यक्रम के दौरान मणि प्रताप (सह-समन्वयक), प्रो, संजय प्रकाश श्रीवास्तव, प्रो, अशोक कुमार, डॉ. सुरेंद्र कुमार, एवं सीयूएसबी के विभिन्न विभागों के अन्य शिक्षक भी उपस्थित रहे।