सीयूएसबी में आठ-दिवसीय शिक्षक प्रोफेशनल डेवलपमेंट कार्यक्रम में एनईपी 2020 के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा*

                                                                                  गया।  दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के शिक्षा पीठ के शिक्षक शिक्षा विभाग द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की मालवीय मिशन-शिक्षक प्रशिक्षण योजना के तहत उच्च-शिक्षा शिक्षकों के राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी_  2020 ओरिएंटेशन एवं सेन्सिटिज़ेशन हेतु आठ-दिवसीय शिक्षक विकास कार्यक्रम के अंतर्गत विषेशज्ञों ने कई पहलुओं पर चर्चा किया | जन सम्पर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि ऑनलाइन मोड के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों एवं उच्च शिक्षा से सम्बंधित विभिन्न संस्थाओं में काम कर रहे देश के 12 राज्यों के 86 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं |

कार्यक्रम के प्रथम सत्र की शुरुआत डॉ. तरुण कुमार त्यागी, निदेशक, मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, सीयूएसबी  के द्वारा एनईपी, 2020 में कौशल विकास और शिक्षा के उद्देश्यों पर विस्तृत चर्चा से हुई। कौशल विकास और  व्यवसायोन्मुख शिक्षा के प्रति सरकार के प्रयासों पर विस्तृत चर्चा करते हुए करते हुए डॉ. त्यागी ने प्राइमरी स्तर से ही बच्चों के कौशल विकास  पर ध्यान देने की बात कही।

आगे प्रो. राज सरन शाही, विभागाध्यक्ष, शिक्षा विभाग, बाबा साहब भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ, द्वारा “उच्च शिक्षा में वित्तीय नियोजन और आंतरिक संसाधन” विषय पर अपना व्याख्यान दिया। प्रो. शाही ने वैश्वीकरण के पूर्व और पश्चात् शिक्षा में वित्तीय प्रबंध तथा विश्वविद्यालयों के स्वायत्तता पर विशेष चर्चा की। उन्होंने सार्वजानिक स्कूलों, विश्वविद्यालयों में प्रति-छात्र व्यय को बढ़ाने तथा विश्वविद्यालयों में वित्तीय सुधार तथा सकल नामांकन अनुपात बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों अपने वित्तीय संसाधन को बढ़ाने के लिए प्रयास कराना चाहिए।

अन्य वक्ता शिक्षा विभाग की सहायक प्रोफेसर लेफ्टिनेंट (डॉ.) प्रज्ञा गुप्ता ने “उच्च शिक्षा में समावेशन: दिव्यांगता और अन्य विकलांगताएं” विषय पर बोलते हुए “छात्र विविधता और शैक्षिक प्रणाली में उनके समावेश” पर ध्यान केंद्रित किया गया। डॉ. प्रज्ञा ने दिव्यांग छात्रों के लिए किये जा रहे प्रयासों, यूजीसी और एनईपी 2020 के दिशा-निर्देशों, सरकार और गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी, प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति एवं नीति निर्माण से सम्बन्धित मुद्दों पर अपने विचार और जानकारी को विस्तार पूर्वक साझा किया।

डॉ. गुरु प्रकाश, सहायक प्रोफेसर, पटना विश्वविद्यालय ने छात्रों की विविधता और उनके समावेश विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने छात्रों के लिए समावेशी शिक्षा के विचार को किसी एक की जिम्मेदारी न मानकर समाज, समुदाय और शिक्षा संस्थानों की सामूहिक जिम्मेदारी माना। डॉ. अभिषेक कुमार, साइंटिस्ट-ई, सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केंद्र, गांधीनगर, द्वारा “उच्च शिक्षा में शिक्षण,अनुसंधान और प्रौद्योगिकी का एकीकरण” विषय के अंतर्गत ई-लर्निंग के अवयव, महत्व,और उसका समावेशी शिक्षा के संदर्भ में उपयोगिता तथा लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम पर छात्रों और शिक्षकों की उपयोगिता का सार-गर्भित  व्याख्यान प्रस्तुत किया गया । अन्य वक्ता प्रो. विनीता सिरोही, अध्यक्ष, शैक्षिक प्रशासन विभाग, एनआईईपीए, नई दिल्ली ने कहा कि युवा जनसांख्यिकी का लाभ उठाने के लिए युवाओं को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। रोजगार सृजन और उद्यमशीलता को विकसित करने के लिए कौशल विकास आवश्यक है।

कार्यक्रम के उपरोक्त सत्रों का संचालन, कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. दिग्विजय सिंह (सहायक प्राध्यापक, लॉ)और श्री मणि प्रताप (सहायक प्राध्यापक, लॉ) द्वारा किया गया।

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