जमुई।जमुई जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में व्यवहार न्यायालय परिसर स्थित न्याय सदन के प्रशाल में अपराधी परिवीक्षा अधिनियमन 1958 के विभिन्न प्रावधानों के सफल क्रियान्वयन एवं जन साधारण के मध्य प्रचार-प्रसार हेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया।
जिला जज ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है जहां अपराधी परिवीक्षा अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए 15 जून 1989 को नियमावली अधिसूचित की गई। यह हितकारी अधिनियम वर्तमान समय में पूरे राज्य में सुचारू रूप से लागू है। उन्होंने परिवीक्षा को परिभाषित करते हुए कहा कि इसके तहत अपराधी को जेल में समय बिताने के अलावे अन्य तरीकों से अपने अपराध के लिए भुगतान करना पड़ता है। यह अधिनियम शौकिया या पहली बार अपराध करने वाले लोगों को सुधार के लिए एक रास्ता प्रदान करता है। परिवीक्षा या सम्यक चेतावनी के पश्चात अपराधियों की रिहाई तथा उससे संबंधित विषयों का उपबंध करने के लिए यह एक विधि है। उन्होंने इस कानून का व्यापक प्रचार- प्रसार किए जाने की जरूरत बताते हुए कहा कि समाज के हर तबके के लोग जब इससे वाकिफ होंगे तभी यह प्रभावकारी साबित होगा। श्री सिंह ने जागरूकता कार्यशाला आयोजन के लिए आयोजकों की तारीफ की।
अपर समाहर्त्ता सह जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी राम दुलार राम ने कहा कि अपराधी परिवीक्षा अधिनियम 1958 अपराधियों को परिवीक्षा पर या उचित निंदा के बाद छोड़ दिए जाने के साथ अन्य संबद्ध बातों के लिए उपबंध करने हेतु अधिनियम है। उन्होंने इसे जन-जन तक पहुंचाए जाने की बात कही। इस कार्यक्रम में
परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश विकास कुमार , सत्यनारायण शिवहरे , कमला प्रसाद , पवन कुमार , राकेश रंजन , अमरेंद्र कुमार , अतुल कुमार आदि न्यायिक पदाधिकारियों ने कार्यशाला में उपस्थिति दर्ज की और अधिनियम के मूल स्वरूप को आत्मसात किया।
परिविक्षा पदाधिकारी सीमा कुमारी , डॉ. नसीम आदि ने कार्यशाला के आयोजन में अग्रिम भूमिका निभाई।
जमुई से सदानंद कुमार