डॉ. लोक प्रताप सिंह, महानिदेशक, हरियाणा, राष्ट्रीय सीमेंट एवं भवन निर्माण सामग्री परिषद द्वारा “अचीविंग सस्टेनेबिलिटी इन सीमेंट / कंक्रीट थ्रू नैनोटेक्नोलाजी” विषय पर मुख्य भाषण
*# तकनीकी सत्र के दौरान रिसर्च स्कॉलर द्वारा 12 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए*
गया।दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के विवेकानंद हॉल में विकसित भारत@2047 थीम के तहत प्रथम सीयूएसबी रिसर्च स्कॉलर मीट का आयोजन किया गया। जन संपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि मीट का आयोजन सीयूएसबी के ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स (ओआईए) और सीयूएसबी के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ (आरएंडडी) द्वारा आरआईएस, नई दिल्ली के सहयोग से किया गया । सीयूएसबी के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह की देखरेख में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि, डॉ. लोक प्रताप सिंह, महानिदेशक, हरियाणा, राष्ट्रीय सीमेंट एवं भवन निर्माण सामग्री परिषद द्वारा “अचीविंग सस्टेनेबिलिटी इन सीमेंट / कंक्रीट थ्रू नैनोटेक्नोलाजी” (नैनो प्रौद्योगिकी के माध्यम से सीमेंट/कंक्रीट में स्थिरता प्राप्त करना) विषय पर विशेष्य व्याख्यान दिया | इस मीट में पृथ्वी, जैविक और पर्यावरण विज्ञान, स्वास्थ्य विज्ञान, भौतिक और रासायनिक विज्ञान, कृषि और गणित, सांख्यिकी और कंप्यूटर विज्ञान के स्कूल के विद्वान एक साथ आए। इस मीट में कई शोधपत्र प्राप्त हुए और प्रत्येक एसडीजी में 12 सर्वश्रेष्ठ शोधपत्रों और मुख्य विषयों को प्रस्तुति के लिए चुना गया। औपचारिक उद्घाटन के पश्चात मीट की शुरुआत सीयूएसबी के ओआईए के अध्यक्ष प्रो. राकेश कुमार के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने अकादमिक उत्कृष्टता को आगे बढ़ाने में अनुसंधान और सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। इसके बाद सीयूएसबी के अनुसंधान और विकास प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो. दुर्ग विजय सिंह ने अपने संबोधन में नवाचार को बढ़ावा देने और सामाजिक विकास में योगदान देने में अनुसंधान की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया।
हरियाणा के राष्ट्रीय सीमेंट एवं निर्माण सामग्री परिषद के महानिदेशक डॉ. लोक प्रताप सिंह ने अपनेव्याख्यान में नैनो प्रौद्योगिकी में प्रगति और सतत विकास के लिए सीमेंट और कंक्रीट उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव की इसकी क्षमता पर प्रकाश डाला। अपने भाषण में उन्होंने विनिर्माण प्रक्रिया के दौरान उत्सर्जित प्रदूषकों के कारण जलवायु परिवर्तन में सीमेंट और कंक्रीट के प्रभाव के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर अनुसंधान स्थिरता के विभिन्न पहलुओं पर आधारित है जिसमें आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और पर्यावरणीय जिम्मेदारी शामिल है। यदि ये तीनों घटक एक साथ चलते हैं तो हम सतत विकास की उम्मीद कर सकते हैं। प्रकृति की विशेषता पारस्परिक पूर्ति और संवर्धन है। जलवायु परिवर्तन पृथ्वी के तापमान को बढ़ाने वाले कारकों जैसे मीथेन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन आदि के कारण होता है। पृथ्वी के तापमान में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि के कारण कोरल ब्लीचिंग, सूखा, समुद्र तल में वृद्धि, प्रजातियों का विनाश हम सभी के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। प्रभाव बहुत बड़ा है इसलिए पृथ्वी को बचाने के लिए स्थिरता पर व्यापक चर्चा की आवश्यकता है। यदि हम उपाय नहीं करते हैं तो सदी के अंत तक पृथ्वी का तापमान 4% तक बढ़ सकता है। सीमेंट उद्योग का उदाहरण देते हुए उन्होंने सीमेंट निर्माण से होने वाले प्रदूषण के दशकवार आंकड़े प्रस्तुत किए। उन्होंने प्रदूषण मुक्त सीमेंट के उत्पादन पर केंद्रित अपने शोध और वैश्विक शोध के आंकड़े भी साझा किए। उन्होंने स्थिरता कैसे प्राप्त करें? यानी डीकार्बोनाइजेशन, सीसीयूएस (कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज) और विघटनकारी प्रौद्योगिकियां साझा करके अपनी बात समाप्त की।
अध्यक्षीय भाषण में कुलपति प्रो. के. एन. सिंह ने शोध और नवाचार के प्रति समर्पण के लिए आयोजन समिति और प्रतिभागियों की सराहना की और शोधार्थियों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करने की विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि शोध में समय और स्थान बहुत महत्वपूर्ण है, और शोधकर्ताओं को समय की आवश्यकता के अनुसार काम करना चाहिए। प्रो. सिंह ने कहा कि मेरे लिए गुणवत्तापूर्ण शोध करने के लिए 3 (तीन) पी, यानी पेशेंस, प्रेज़रवेन्स और पैशन बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसके बाद मीट में 12 शोध विद्वानों द्वारा शोध निष्कर्षों की मौखिक प्रस्तुति थी, जिसकी अध्यक्षता प्रो. ड्रग विजय सिंह ने की और सह-अध्यक्षता डॉ. निंगोमबाम लिन्थोइंगंबी देवी ने की। शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले शोधकर्ताओं में प्रीतम बिस्वास, एकता सिंह, निशिता निशि, सोन्सी, ज्ञान प्रकाश राय, अंजलि मिश्रा, सुषमा कुमारी सिंह, शुभम गुडाधे, प्रिया रानी, आकृति अशेष, शिवम प्रियदर्शी, सुमन कुमार, अमन कुमार राउत, आदित्य कुमार और देबाशीष मोहंता शामिल थे। औपचारिक कार्यक्रम में डॉ. निंगोमबाम लिन्थोइंगम्बी देवी द्वारा दिए गए धन्यवाद प्रस्ताव के साथ संपन्न हुई, जबकि समापन भाषण और अतिरिक्त धन्यवाद प्रस्ताव सह-आयोजन सचिव डॉ. प्रभात रंजन द्वारा दिया गया, जिन्होंने इसमें शामिल सभी लोगों के योगदान को स्वीकार किया और अधिक सहयोग की आशा व्यक्त की।