गया।दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) में बुधवार (14 अगस्त) को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया गया | जन सम्पर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह के संरक्षण में विश्वविद्यालय के इतिहास एवं पुरातत्त्व विभाग एवं छात्र कल्याण अधिष्ठाता (डीएसडब्ल्यू) कार्यालय द्वारा संयुक्त रूप से कार्यक्रम का आयोजन किया गया | विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं सीयूएसबी के संयुक्त तत्वाधान में किया गया | विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न वक्ताओ के व्याख्यान, चित्र प्रदर्शनी, रंगोली, वाद विवाद प्रतियोगिता एवं फिल्म स्क्रिनिंग आदि विभिन्न कार्यक्रम किये गए |
कार्यक्रम की शुरुआत कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह द्वारा चित्र प्रदर्शनी के उद्घाटन एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ | अपने मुख्य संबोधन में कुलपति ने “एकता में विविधता” को व्याख्यायित करते हुए कुलपति महोदय ने कहा कि भारत की विविधता भारत की कमजोरी नहीं बल्कि भारत की मजबूती है हमें इस विविधता को मजबूती प्रदान करने की ज़रूरत हैं | इसके लिए हमें विभाजनकारी तत्त्वों एवं मानसिकता से लड़ने की आवश्यकता हैं यही आज के कार्यक्रम का उद्देश्य हैं |
इस अवसर पर अतिथि वक्ता के रूप में श्री परमजीत सिंह बग्गा ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए अपने परिवार के द्वारा विभाजन के समय झेले गये त्रासदी को विस्तार से सामने रखा | छात्र कल्याण अधिष्ठाता (डीएसडब्ल्यू) प्रो. पवन कुमार मिश्रा ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के आलोक में विभाजन के कानूनी पक्ष पर अपने विचार रखा | इतिहास एवं पुरातत्त्व विभाग के अध्यक्ष प्रो. आनंद सिंह ने सामाजिक एवं आर्थिक पहलू पर प्रकाश डाला तथा बौद्ध एवं सिक्ख धर्मावलम्बियों सहित अन्य की पीड़ा को भी रेखांकित किया |
कार्यक्रम में विषय प्रवेश एवं स्वागत संबोधन कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अनिल कुमार द्वारा किया गया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नीरज कुमार सिंह द्वारा किया गया | कार्यक्रम का संचालन शोध छात्रा विज्ञा त्रिपाठी के द्वारा किया गया | इस अवसर पर प्रो. प्रणव कुमार, डॉ. जीतेंद्र राम, डॉ. अबोध कुमार, डॉ. प्रमोद कुमार सिंह, डॉ. हरेश पाण्डेय, डॉ. प्रीती अनिल खंडारे उपस्थित थे |