एबीवीपी दक्षिण बिहार गया के द्वारा *आर. जी.कर. मेडिकल कॉलेज, कोलकाता* के पारास्नातक छात्रा की अस्पताल परिसर में बलात्कार कर नृशंस हत्या करने की घटना को लेकर कैंडल मार्च का आयोजन किया गया।

जिसमें गया महानगर के सैकड़ो महिला छात्रा कार्यकर्ता व गया कॉलेज महिला छात्रावास की छात्रा शामिल हुए।

गया महानगर सहमंत्री टिंकल कुमारी ने कहा की ममता सरकार में महिला हिंसा एवं असुरक्षा का अनवरत वातावरण अत्यंत चिंताजनक है। आर. जी. कर  मेडिकल कॉलेज, कोलकाता में सुरक्षा के निम्नतम सुविधाओं का भी अभाव था। मैं भारत के राष्ट्रपति एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मांग करता हूं कि दोषियों की शीघ्र पहचान कर पीड़ित परिवार को जल्द से जल्द न्याय देने का कार्य करे तथा पश्चिम बंगाल में ध्वस्त होती जा रही कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने हेतु एवं तृणमूल सरकार की निरंकुशता पर अंकुश लगाने हेतु अपनी संवैधानिक शक्ति का उपयोग करे।

वही प्रदेश कार्यसमिति सदस्य प्रिया सिंह ने कहा कि कि ममता बनर्जी को यह मामला सीबीआई को सौंपने में मात्र 70 सेकंड लगते और वह ऐसा करने के लिए 7 दिन का समय मांग रहीं थी। यह उनकी हताशा को दर्शाता है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस जिस तरह का असंवेदनशील व्यवहार दिखा रही है, वैसा ही व्यवहार उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी भी दिखा रही है। कन्नौज से लेकर कोलकाता तक नफरत, महिलाओं के प्रति हीन भावना और अपराधियों को संरक्षण देने की खतरनाक मानसिकता देखने को मिल रही है। ममता बनर्जी और टीएमसी के शासन में बंगाल महिलाओं के लिए नर्क से भी बदतर बन चुका है। कोलकाता की ‘निर्भया’ के बाद बर्दवान में भी आधी रात को एक खेत में युवती का खून से लथपथ शव मिला, जिसका गला कटा हुआ था। शक्तिगढ़ में एक दिव्यांग लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना घटी। लेकिन ‘बेटी बचाओ’ पर ध्यान देने के बजाय, टीएमसी ‘बलात्कारी बचाओ अभियान’ पर जोर दे रही है। कोलकाता हाईकोर्ट द्वारा मामले को सीबीआई को सौंपने का आदेश देने के दिन ही अस्पताल की इमरजेंसी बिल्डिंग पर हमला कर दिया, जहां अपराध स्थल और सेमिनार रूम स्थित हैं। ऐसा कैसे संभव है कि बिना योजना बनाए इस तरह से भीड़ घटनास्थल पर हमला कर सकती है। टीएमसी के शासन में बंगाल में जंगल राज आ चुका है।

गया महानगर मंत्री विनायक कुमार ने कहा कि ममता बनर्जी सरकार में पश्चिम बंगाल अराजकता का गढ़ बन गया है। पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है और अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। ममता बनर्जी को इस घटना के बाद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए, लेकिन ममता ‘वाम और राम’ पर दोष मढ़ रही हैं।  मजहब और वोट बैंक की राजनीति के लिए टीएमसी ने बंगाल को हिंसा की आग में झोंक दिया है। तुष्टीकरण की राजनीति में ममता बनर्जी इतनी निर्दयी हो गई हैं कि उन्हें बंगाल की बेटियों की भी परवाह नहीं है। दरिंदों ने तो महिला डॉक्टर के शरीर को तड़पाया था लेकिन ममता बनर्जी और टीएमसी सरकार उसकी आत्मा को तड़पा रहे हैं।

इस मौक़े पर एबीवीपी के सूरज सिंह,राहुल सिंह,प्रगति कुमारी,संजना कुमारी,अनुपम सोनाली रूपाली पूनम इत्यादि

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