आरक्षण खत्म करने की साजिश है एससी-एसटी में उप-वर्गीकरण: भाकपा माले

जिले में बंद का रहा जोरदार असर, रेल व सड़क यातायात प्रभावित

*दलित समुदाय के अतिवंचित तबके के आर्थिक-शैक्षिक विकास की गारंटी करे सरकार, जाति गणना हो*

गया।सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर और उप-वर्गीकरण के फैसले के खिलाफ आज आहूत भारत बंद के समर्थन में माले कार्यकर्ताओं ने जिले में प्रदर्शन किया। रेल व सड़क यातायात बाधित रहा।

भाकपा माले जिला सचिव निरंजन कुमार ने कहा कि बंद में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी रही। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी में क्रीमीलेयर और उपवर्गीकरण दलितों के बीच विभाजन डालने और आरक्षण खत्म करने की साजिश है।।केंद्र सरकार ने दबाव के बाद क्रीमीलेयर लागू करने से तो इंकार कर दिया है लेकिन कोटा में कोटा पर चुप है। दूसरी ओर भाजपा आज लैटरल इंट्री द्वारा अधिकारियों की नियुक्ति में आरक्षण पर सीधे तौर पर हमला कर रही है।

उन्होंने कहा कि उपवर्गीकरण के लिए सबसे पहले आंकड़ों की जरूरत होगी। लेकिन हमारे देश में 1931 के बाद कोई जाति गणना हुई ही नहीं है। जाति गणना की बात कौन कहे भाजपा तो आज सामान्य गणना भी नहीं करवा रही है। ऐसे में उप-वर्गीकरण की कोई बात केवल और केवल बहुजनों के बीच फूट पैदा करने का काम करेगा।

दलितों में हाशिए पर रहे गए जाति समुदायों का यदि आर्थिक व शैक्षिक विकास नहीं हो सका है तो इसके लिए हमारी सरकारें ही जिम्मेवार हैं। बिहार में महादलित आयोग बनाने वाले नीतीश कुमार को जवाब देना चाहिए कि मुसहर, भुईंया आदि जातियां आज भी विकास के तमाम बड़बोले दावे के बावजूद भयावह गरीबी, अशिक्षा और पलायन का दंश क्यों झेल रहे हैं?

सामाजिक-आर्थिक सर्वे ने बताया कि मुसहर समुदाय की 54 प्रतिशत से अधिक आबादी महागरीबी रेखा के नीचे है। उनके भीतर शिक्षा की हालत बहुत ही खराब है। इसकी जवाबदेही सरकार की नहीं तो और किसकी है?

उन्होंने यह भी कहा कि आरक्षण और आर्थिक-शैक्षिक विकास को एक दूसरे के विकल्प के रूप में नहीं बल्कि एक दूसरे के पूरके के रूप में देखना चाहिए। तभी सभी तबके को मजबूती मिल सकेगी।

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