गया।अकादमिक उत्कृष्टता के लिए प्रख्यात दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) देश और दुनिया में लगातार नए – नए कृतिमान स्थापित कर रहा है | इसी क्रम में सीयूएसबी के स्कूल ऑफ हेल्थ साइंस के अंतर्गत संचालित फार्मेसी विभाग के तीन प्राध्यापकों (प्रोफेसरों) ने 2024 में दुनिया के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों में स्थान हासिल करके पूरे विश्वविद्यालय एवं मगध छेत्र का गौरव बढ़ाया है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूएसए (यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका) और एल्सेवियर द्वारा जारी सूचि में सीयूएसबी के प्रो. सुब्रत कुमार भट्टामिसरा, डीन, स्कूल ऑफ हेल्थ साइंसेज, प्रो. विवेक दवे, विभागाध्यक्ष फार्मेसी विभाग और डॉ. अरुण कुमार, सहायक प्रोफेसर शामिल हैं | सीयूएसबी के इन प्राध्यापकों को “फार्मेसी और फार्माकोलॉजी” के उपक्षेत्र में उनके योगदान के लिए लिस्ट में जगह दी गई। इस उपलब्धि पर सीयूएसबी के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह, कुलसचिव प्रो. नरेंद्र कुमार राणा ने बधाई एवं शुभकामनाएं दीं हैं । कुलपति महोदय ने कहा कि इस प्रतिष्ठित समूह में इन प्रोफेसरों को शामिल करना ज्ञान को आगे बढ़ाने, नवाचार को बढ़ावा देने और अनुसंधान के उच्च मानकों के प्रति उनके समर्पण को रेखांकित करता है और इन उपलब्धियों से विश्वविद्यालय का मान – सम्मान बढ़ता है ।
जन सम्पर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की सूचि को विभिन्न मापदंडों जैसे साइटेशन, एच-इंडेक्स, सह-लेखकत्व और एक समग्र स्कोर (सी-स्कोर) को मानकीकृत करके तैयार की गई है। नवीनतम अपडेट में 22 वैज्ञानिक क्षेत्रों और 174 उपक्षेत्रों के शोधकर्ता शामिल हैं और इसे एल्सेवियर द्वारा हाल ही में प्रकाशित किया गया है । पीआरओ ने बताया कि प्रो. सुब्रत कुमार भट्टमिश्रा मधुमेह, मोटापा और मस्तिष्क विकारों आदि के उपचार के लिए प्राकृतिक उत्पादों के औषधीय अनुसंधान में लगे हुए हैं। प्रो. विवेक दवे का शोध क्षेत्र नैनोटेक्नोलॉजी और ड्रग डिलीवरी पर केंद्रित है। डॉ. अरुण कुमार का शोध मुख्य रूप से बायोमैटिरियल्स फॉर टिश्यू इंजीनियरिंग और सॉफ्ट टिश्यू इंजीनियरिंग पर केंद्रित हैं।
यह रैंकिंग अनुसंधान और शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालती है, जैसा कि क्षेत्र में उनके प्रकाशनों और उद्धरणों द्वारा प्रदर्शित किया गया है। उनकी उपलब्धियां न केवल संस्थान की प्रतिष्ठा को बढ़ाती हैं बल्कि शोधकर्ताओं की भावी पीढ़ियों को भी प्रेरित करती इस प्रतिष्ठित समूह में इन प्रोफेसरों को शामिल करना ज्ञान को आगे बढ़ाने, नवाचार को बढ़ावा देने और अनुसंधान के उच्च मानकों के प्रति उनके समर्पण को रेखांकित करता है।