विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए आवश्यक है कि भारत दीन दयाल के रास्ते पर चले, डॉ. गुरु प्रकाश

गया।वर्ष 2047 में विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए आवश्यक है कि भारत गाँधी-लोहिया-आंबेडकर और दीन दयाल के रास्ते पर चले | ये वक्तव्य मुख्य अतिथि के रूप में पटना विश्वविद्यालय के डॉ. गुरु प्रकाश (सहायक प्राध्यापक) ने  दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के पंडित दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानववाद एवं सामाजिक नीति पीठ द्वारा “अंत्योदय दर्शन एवं विकसित भारत 2047 की परिकल्पना” विषय पर आयोजित  एकल व्याख्यान में कही | डॉ. प्रकाश ने दीन दयाल जी को भारतीय सनातन परम्परा के प्रवाह में प्रज्ञा का संचार करने वाले एक दैदीप्यमान पुरुष के रूप में परिकल्पना की | उन्होंने एकात्म मानव दर्शन को भारतीय मनीषा के विऔपनिवेशिकरण के प्रश्न से जोड़ कर भी अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए | डॉ प्रकाश ने पश्चिम और पूरब के दर्शन परम्परा को एसएडी (सिग्मेंट फ्रायड, एडम स्मिथ और डार्विन – SAD) और जीएलएडी (गाँधी, लोहिया, आंबेडकर, दीनदयाल – GLAD) के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किए |

कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह अपने सम्बोधन में विकास एवं विकसित भारत- 2047 के लक्ष्यों को दृष्टिगत करते हुए समकालीन समय में विकास को पारिभाषित करने की जरूरत बताई| उन्होंने महर्षि अरविन्द को उद्धृत करते हुए कहा कि विकास का वास्तविक अर्थ ‘रोग के बिना शरीर, तनाव मुक्त मन, समस्या रहित समाज और भ्रष्टाचार बिना आर्थिक विकास’ के रूप में बताया | उन्होंने विकसित भारत के लक्ष्य को अंतिम व्यक्ति के उदय से जोड़ कर देखा |

जन सम्पर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि इससे पहले विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद सभागार में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सीयूएसबी के कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने मुख्य अतिथि डॉ. गुरु प्रकाश के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन एवं दीन दयाल उपाध्याय के प्रतिमा के ऊपर पुष्पांजलि से किया | इसके पश्चात ऐतिहासिक अध्ययन एवं पुरातत्व विभाग के आचार्यों द्वारा सारस्वत अतिथियों का सम्मान ‘स्मृति चिन्ह’ एवं अंगवस्त्रम भेंट करके किया गया |

कार्य्रकम की औपचारिक शुरुआत करते हुए ऐतिहासिक अध्ययन एवं पुरातत्व विभाग के डॉ सुधांशु कुमार झा (सहायक प्राध्यापक) ने सभा में मौजूद मुख्य अतिथि डॉ. गुरु प्रकाश सहित सभी अतिथियों का स्वागत-संबोधन किया | डॉ. झा ने सभा का विषय से परिचय कराते हुए भारत की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक यात्रा का जिक्र किया | उन्होंने विकास एवं विकसित भारत के प्रश्न को ‘अन्त्योदय’ से जोड़ कर देखने कि बात कही | कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आनन्द सिंह ने एकात्म मानवदर्शन के उदय के ऐतिहासिक सन्दर्भों को रेखांकित किया | उन्होंने देश कि आजादी के बाद भारतीय राष्ट्र राज्य के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों का समाधान पंडित दीन दयाल जी के वैचारिकी में देखा | एकात्म मानव दर्शन ने तत्कालीन दुनिया के सामने पूँजीवाद और साम्यवाद से इतर समन्व, समभाव एवं समावेशिता पर आधारित एक वैकल्पिक मार्ग प्रस्तुत किया | दीन दयाल पीठ के द्वारा आयोजित इस कार्य्रक्रम के संयोजक इतिहास विभाग के सहायक आचार्य एवं पीठ के सह-समन्वयक डॉ रोहित कुमार (सहायक प्राध्यापक) थे | अंत में इतिहास विभाग के डॉ. अनिल कुमार (सहायक प्राध्यापक) ने कार्यक्रम का रिपोर्ट प्रस्तुत किया तथा कार्यक्रम में उपस्थित विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागध्यक्षों, शिक्षकों, शोध-छात्रों, परस्नातक एवं स्नातक के छात्रों, कर्मचारियों को धन्यवाद ज्ञापित किया | कार्यक्रम का संचालन इतिहास विभाग की शोध छात्रा विज्ञा ने किया |

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