भारतीय ज्ञान परंपरा वर्तमान परिदृश्य में प्रासंगिक, प्रो. गिरीश्वर मिश्र

गया।भारतीय ज्ञान परंपरा हमेशा प्रासंगिक रही है और वर्तमान परिदृश्य में उच्च शिक्षा में इसके समावेशन से उत्साहवर्धक परिणाम प्राप्त होंगे | राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में भारतीय ज्ञान परंपरा को गंभीरता से लिया गया है और इसको प्रभावी तौर पर अपनाने के सुझाव दिए गया हैं | उच्च शिक्षण संस्थानों को एनईपी 2020 के आधार पर भारतीय ज्ञान परंपरा अपनाने की आवश्यकता है  जिससे विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की प्राप्ति हो सकती है | उक्त वक्तव्य मुख्य वक्ता के रूप में प्रख्यात मनोवैज्ञानिक तथा महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) द्वारा मनोविज्ञान विभाग (सीयूएसबी) के सहयोग से आयोजित आठ दिवसीय ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम ( शिक्षक विकास कार्यक्रम – एफडीपी) में कहीं | प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने भारतीय ज्ञान परंपरा के उच्च शिक्षा में समावेश पर चर्चा करते हुए प्राचीन एवं वर्तमान शिक्षा पद्धतियों में मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर भी चर्चा की |

जन सम्पर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह के संरक्षण में  भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की यूजीसी मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम (एमएमटीटीपी) की योजना के तहत ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020-उन्मुखीकरण और संवेदीकरण कार्यक्रम’ नामक आठ दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण का आयोजन मनोविज्ञान विभाग द्वारा किया गया है | इस कार्यक्रम के समनवयक  प्रो. धर्मेंद्र कुमार सिंह (विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग) और डॉ. चेतना जायसवाल (सहायक प्रोफेसर, मनोविज्ञान विभाग) हैं ।

दूसरे मुख्य वक्ता प्रो. रवींद्र कुमार प्रधान, आईआईटी, खड़गपुर, पश्चिम बंगाल, मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग ने  अकादमिक नेतृत्व, शासन और प्रबंधन (एचईसीआई, एनएचईआरसी, एनएसी, एचईजीसी, जीईसी और एनएचईएफक्यूएफ) पर केंद्रित भाषण दिया । प्रो. अशोक पंकज, पूर्व निदेशक, सामाजिक विकास परिषद, नई दिल्ली ने उच्च शिक्षा में शोध परियोजना प्रस्ताव और वित्त पोषण पहलुओं को कैसे विकसित किया जाए विषय पर अपने विचार रखे | प्रो. राणा संजय प्रताप सिंह, स्कूल ऑफ वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने एनईपी 2020 के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए इसकी प्रासंगिकता को साझा किया |  प्रो. अंजलि बाजपेयी, डीन, शिक्षा संकाय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने उच्च शिक्षा में बहु-विषयक शिक्षा, लचीले और अभिनव पाठ्यक्रम के बारे में चर्चा की। अंत में प्रो. धनंजय कुमार, मनोविज्ञान विभाग, डीडीयू, गोरखपुर ने ‘सूचना और संचार प्रौद्योगिकी’ विषय के अंतर्गत शोध में अनुसंधान उपकरण पर अपने विचार व्यक्त किए ।

कार्यक्रम का समग्र निर्देशन सीयूएसबी एमएमटीटीसी के निदेशक डॉ. तरुण कुमार त्यागी द्वारा किया गया और उन्होंने एनईपी 2020 पर आधारित एफडीपी के उद्देश्यों को साझा किया | विभिन्न सत्रों के अंत में धन्यवाद ज्ञापन निशि श्रीवास्तव (शोधार्थी, सीयूएसबी), उन्नीकन्नन (शोधार्थी, सीयूएसबी),  डॉ. चांदनी रोशन (सहायक प्रोफेसर, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया),  डॉ. कविता कुमारी (सहायक प्रोफेसर, मगध विश्वविद्यालय बोधगया), डॉ. जसप्रीत कौर (सहायक प्राध्यापक, पंजाब विश्वविद्यालय), डॉ. स्मृति कुमारी (सहायक प्राध्यापक, केएसएस कॉलेज, लखीसराय) के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।

Trending

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here