सीयूएसबी के भारतीय भाषा विभाग द्वारा ‘हिन्दी हैं हम’ साहित्यिक कार्यक्रम का सफल आयोजन

गया।दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) में ‘हिन्दी पखवाड़ा’ मनाया जा रहा है और इसके अंतर्गत राजभाषा हिंदी पर आधारित कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहा हैं । इसी शृंखला में सीयूएसबी के कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह के संरक्षण में भारतीय भाषा विभाग के विद्यार्थीयों द्वारा विश्वविद्यालय में साहित्यिक कार्यक्रम ‘हिन्दी हैं हम’ का आयोजन किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुरेश चन्द्र ने की और मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय स्टेट बैंक, गया के मुख्य प्रबंधक (राजभाषा) श्री विनय कुमार सिंह एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में  श्रीमती ज्योति वर्मा (शाखा प्रबंधक, एसबीआई, सीयूएसबी शाखा) उपस्थित रहीं । कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के जन संपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम, भारतीय भाषा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. अनुज लुगुन, डॉ. शान्ति भूषण, डॉ. रामचन्द्र रजक, डॉ. कफील अहमद नसीम, अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. सुनील कुमार एवं टिकारी उच्च विद्यालय, गया के संगीत अध्यापक श्री मनु मणि की गरिमामयी उपस्थिति रही ।

कार्यक्रम का औपचारिक आरंभ अथितियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया । इस अवसर पर अतिथियों द्वारा विभाग से प्रकाशित होने वाली मासिक ‘भित्ति पत्रिका’ के अगस्त-सितंबर अंक का अनावरण किया गया । विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. शान्ति भूषण के स्वागत वक्तव्य में समाज और बाजार से उद्भूत हिन्दी भाषा के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को रेखांकित किया । विभाग के छात्रों व शोधार्थियों ने विविध सामाजिक संदर्भों पर स्वरचित काव्य का पाठ किया । तत्पश्चात्, विभाग के छात्रों द्वारा स्त्रियों के प्रति रूढ़िवादी मानसिकता पर प्रहार करते जगदीश चन्द्र माथुर के नाटक ‘रीढ़ की हड्डी’ का सफल मंचन किया गया ।

मुख्य अतिथि विनय कुमार सिंह ने बैंकिंग में हिन्दी व आम जन की भाषा के महत्व के सम्बन्ध में अपने विचार साझा किए । साथ ही विभाग के छात्र-छात्राओं को हिन्दी भाषा के माध्यम से देश-विदेश में अपनी सभ्यता-संस्कृति के प्रसार के लिए प्रोत्साहित किया । इस दौरान उन्होंने व्यावहारिक स्तर पर हिन्दी के साथ अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के सम्बन्ध व महत्व को रेखांकित किया ।

प्रोफेसर सुरेश चन्द्र ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य का प्रारंभ अपने ग्रामीण जीवन के प्रारंभ से ही हिन्दी भाषा के प्रति अपने प्रेम को रेखांकित कर किया । अपने वक्तव्य में प्रोफेसर चन्द्र ने हिन्दी भाषा एवं भारतीय भाषा विभाग के विद्यार्थीयों के निरंतर विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई ।  हिन्दी-उर्दू की साझी विरासत के महत्व को समझाते हुए उन्होंने विद्यार्थियों को विविधता में एकता का ‘भारतीयता’ का सूत्र दिया ।

विभाग की छात्रा जूही कुमारी ने विद्यापति के मैथिली गीत ‘जय-जय भैरवि असुर भयावहनी’ की मनमोहक प्रस्तुति दी । इसके बाद जूही कुमारी, सभ्यता कुमारी एवं साथियों द्वारा मैथिली लोकगीत ‘आजु मिथिला नगरिया कमाल सखिया’ का समूह गान प्रस्तुत किया गया ।  विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. रामचन्द्र रजक ने धन्यवाद ज्ञापन व्यक्त किया । मंच संचालन का कार्य विभाग की छात्रा नूपुर कुमारी व छात्र आनंद कुमार ने किया । इस दौरान विभाग के शोधार्थी रुद्र चरण माझी, ज्ञान्ती, सीमा, सोनाली, अंबालिका, स्मृति, दिव्यांशु, निखिल, निशांत, कुंदन, अभिषेक, आफताब, राजेश, सौरभ, निकेश, प्रतीक, कसक, गौतम के अलावा बी ए एवं एम ए हिन्दी के अन्य विद्यार्थी उपस्थित रहे ।

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