प्यारा बिहार
गया। धर्म अलग, संस्कृति अलग लेकिन आस्था में कोई अंतर नहीं। यह दृश्य में गया जी में देखने को मिला।जहां पितृकुंभ का महासंगम पितृपक्ष मेले में भाग लेने के लिए सात समुद्र पार जर्मनी, रुस, नाइजीरिया से पहुचें विदेशी श्रद्धालुओं ने सनातन धर्म को अपनी जीवन शैली के रूप में अपनाते हुए और अपने पितरों के प्रति आस्था व्यक्त करते हुए पितृ मोक्ष अमावस्या के अवसर पर बुधवार को पवित्र फल्गु नदी के देवघाट पर देर शाम पितरों के आत्मा की शांति के लिए पितृ यज्ञ का आयोजन किया। तीर्थ पुरोहित लोकनाथ गौड के निर्देशन में वैदिक मंत्रोंच्चारण एंव पितृअनुष्ठान के साथ विदेशियों ने सामूहिक रूप से यज्ञ में आहूतियां देकर उनके परम गति की कामना की। सभी विदेशी श्रद्धालु ईसाई धर्म को मानने वाले थे। साथ ही इसके उपरांत फल्गु नदी के पवित्र जिले में तर्पण कर उनके मोक्ष की कामना की। विदेशी श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद लेकर काफी भावुक होते और उनका चरण वंदन किया। तीर्थ पुरोहित लोकनाथ गौड ने बताया कि विदेशी श्रद्धालु अपने पितरों के शांति के लिए गया आए थे। इन्हें भारतीय संस्कृति और सभ्यता से जुड़े हिंदू सनातन धार्मिक रीति रिवाज को देखकर काफी अच्छा लगा। पितरों के प्रति अगाध श्रद्धा को देखकर काफी भावुक नजर आए।
बता दे कि पिछले दिनों विदेशी श्रद्धालु गया जी में पिंडदान करने पहुंचे थे। 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले में लगभग 8 लाख पिंडदानियों ने पिंडदान किया।