गया।आईआईएम बोधगया ने मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम के तत्वावधान में 11 नवंबर से 15 नवंबर 2024 तक महिला शैक्षणिक नेताओं के लिए पांच दिवसीय आवासीय नर्चरिंग फ्यूचर लीडरशिप प्रोग्राम (एनएफएलपी) का सफलतापूर्वक आयोजन किया। शिक्षा मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित, कार्यक्रम का उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों में नेतृत्व विकास को बढ़ावा देना है। कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न विषयों के प्रतिष्ठित संकाय सदस्य एक साथ आये एवं भविष्य के नेताओं को तैयार करने के महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार किया। कार्यक्रम में लगभग 20 केंद्रीय/राज्य विश्वविद्यालयों के साथ ही आईआईएम, आईआईटी एवं एनआईटी जैसे आईआईटी पटना, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय के 33 वरिष्ठ संकाय की भागीदारी दिखी।
इस पांच दिवसीय कार्यक्रम में प्रबंधन और नेतृत्व पर विभिन्न सत्र शामिल रहे। आईआईएम बोधगया की निदेशक प्रो. विनीता एस. सहाय ने इस अवसर पर उच्च शिक्षा में ‘सखी-वाद’ के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रतिभागियों ने आईआईएम -अहमदाबाद की पूर्व निदेशक और फ्लेम यूनिवर्सिटी की संस्थापक सदस्य प्रोफेसर इंदिरा पारिख, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव और आईआईटी-दिल्ली की प्रोफेसर सीमा शर्मा से शैक्षणिक क्षेत्र में महिला नेताओं के सामने आने वाली चुनौतियों और नेतृत्व के विकास पर अंतर्दृष्टि प्राप्त की।
पूर्व कैबिनेट मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने अपने दो दशकों से अधिक के अनुभव के साथ सार्वजनिक भाषण के माध्यम से प्रभाव पैदा करने पर अंतर्दृष्टि साझा की। जिसमें उन्होंने कहा, ‘आप जैसा रहते हैं वैसा ही बोलते हैं, जैसे जुड़ते हैं वैसे बोलते हैं और जैसा व्यवहार करते हैं वैसा ही बोलते हैं।’ स्मृति ईरानी ने डिजिटल परिवर्तन के युग में एक महत्वपूर्ण सत्र को सम्बोधित किया कि कैसे मीडिया में कहानी सुनाने का उपयोग विभिन्न कौशल विकसित करने के लिए प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। प्रतिभागियों को संस्थागत सदस्यों के साथ उनकी अनुभवात्मक शिक्षा के हिस्से के रूप में महाबोधि मंदिर और नालंदा का दौरा करने का अवसर मिला।
नेशनल इकोनॉमिक पॉलिसी 2020 ने शिक्षकों के बीच क्षमता निर्माण के महत्व पर महत्वपूर्ण जोर दिया। एनएफएलपी का लक्ष्य संकाय सदस्यों, विशेषकर महिलाओं को उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रभावी नेतृत्व के लिए आवश्यक तकनीकी, प्रबंधकीय और पारस्परिक कौशल से लैस करना है। कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय उच्च शिक्षा में अधिक संतुलित और विविध नेतृत्व परिदृश्य बनाना है। इस पहल के माध्यम से, शिक्षा मंत्रालय और आईआईएम बोधगया महिला नेताओं की एक नई पीढ़ी को प्रेरित करते हैं, जिससे वे अकादमिक दुनिया में बदलाव और नवाचार लाने में सक्षम हो जाती हैं।