Saturday, May 17, 2025
HomeUncategorizedनए साल का तोहफा, सीयूएसबी को काइरोप्टिकली एक्टिव मॉलिक्यूल्स पर शोध के...

नए साल का तोहफा, सीयूएसबी को काइरोप्टिकली एक्टिव मॉलिक्यूल्स पर शोध के लिए भारत सरकार से ₹2.72 करोड़ का प्रतिष्ठित डीएसटी – एफआईएसटी अनुदान


गया।नया साल 2025 बिहार के एकलौते यूजीसी श्रेणी-1 विश्वविद्यालय, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी), गया के बड़ा तोहफालेकर आया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अवसंरचना सुधार निधि (एफआईएसटी) योजना के तहत सीयूएसबी के रसायन विज्ञान विभाग को ₹2.72 करोड़ प्रदान किए हैं। गौरतलब है कि यह भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) से सीयूएसबी के किसी भी विभाग को दिया गया अब तक का सबसे बड़ा अवसंरचना अनुदान है। सीयूएसबी के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह के साथ कुलसचिव प्रो. नरेंद्र कुमार राणा और पूरे विश्वविद्यालय परिवार ने रसायन विज्ञान विभाग को इस शानदार उपलब्धि के लिए बधाई दी है। कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने इतना बड़ा शोध अनुदान प्राप्त करने के लिए विभाग के सभी संकाय सदस्यों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि विश्वविद्यालय में उत्कृष्ट शोध सुविधा स्थापित करना एक बड़ी उपलब्धि होगी।

जन संपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि भारत सरकार की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (एसटीआईपी) पहल के अनुरूप रसायन विज्ञान विभाग ने “सेंसर, कैटेलिसिस और थेरानोस्टिक्स में अनुप्रयोगों के लिए काइरोप्टिकली सक्रिय अणु और सामग्री” शीर्षक से एक शोध प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, जिसे सरकारी एजेंसी द्वारा  सराहा गया और अनुमोदित किया गया। विस्तृत विवरण प्रदान करते हुए, रसायन विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. अमिय प्रियम ने बताया कि इस परियोजना के तहत, संकाय सदस्यों और वैज्ञानिकों की एक समर्पित टीम नैनोमटेरियल और अणुओं के काइरोप्टिकल गुणों पर अध्ययन करेगी जिससे विभिन्न रोगों के लिए बायोसेंसर और लागत प्रभावी उपचार विकसित करने का प्रयास किया जाएगा । इस शोध का उद्देश्य कार्बनिक/अकार्बनिक अणुओं और सामग्रियों के काइरोप्टिकल गुणों को समझने और बाद में इस ज्ञान का उपयोग करके समाज की कुछ दबाव वाली समस्याओं के वैज्ञानिक समाधान प्रदान करने पर है। इसमें पर्यावरण और जैव चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिए नए, लागत प्रभावी उपकरणों और तकनीकों को विकसित करने के लिए अंतःविषय सहयोग भी शामिल होगा। उन्होंने बताया कि डीएसटी-एफआईएसटी के तहत विश्वविद्यालय में एक अत्याधुनिक, काइरोप्टिकल रिसर्च फैसिलिटी (सीआरएफ) स्थापित की जाएगी। सीआरएफ में कई अत्याधुनिक उपकरण रखे जाएंगे जिसमें सर्कुलरली पोलराइज्ड ल्यूमिनेसेंस (सीपीएल) स्पेक्ट्रोमीटर, सर्कुलर डाइक्रोइज्म (सीडी) स्पेक्ट्रोमीटर और कई अन्य उपकरण शामिल हैं । प्रो. अतुल प्रताप सिंह (संकाय सदस्य, रसायन विज्ञान विभाग) ने कहा कि यह हम सभी के लिए एक लंबे समय से संजोए गए सपने का साकार होना है। पहले, परिष्कृत उपकरणों की अनुपलब्धता एक बड़ी चिंता का विषय थी और इस क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार संस्कृति की एक निराशाजनक तस्वीर पेश करती थी। डॉ. गिरीश चंद्र (संकाय सदस्य, रसायन विज्ञान विभाग) ने कहा कि यह सभी संकाय सदस्यों का सामूहिक प्रयास था और अब हमें इस कठिन कार्य को कुशल और समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए मिलकर काम करना होगा और हम शोध के उत्साहवर्धक परिणाम प्राप्त करने के लिए आश्वस्त हैं ।

RELATED ARTICLES

Most Popular