Tuesday, May 13, 2025
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त्रिवेणी संगम में उमड़ा श्रद्धा का सागर, डुबकी लगाने से बुजुर्गों में दिख रहा उत्साह

गया।तीर्थराज प्रयाग राज में चल रहे सनातन संस्कृति के महापर्व महाकुंभ- 2005 में सनातन धर्म को मानने वाले लोग आस्था भक्ति और अध्यात्म के संगम में स्नान कर रहे हैं। देश दुनिया के लोग त्रिवेणी संगम में डुबकियां लगा कर अपने परिवार एवं देशवासियों के सुख समृद्धि और कल्याण की प्रार्थना करते नजर आ रहे हैं। महाकुंभ ना केवल आस्था का संगम ही नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की जीवंत धरोहर है यह आयोजन भारत की अध्यात्मिक शक्ति और सांस्कृतिक विरासत का भव्य प्रतीक हैं, जिसे आज पूरा विश्व देख रहा है और गौरव की अनुभूति कर रहा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस विराट आयोजन की भव्यता की सराहना करते हुए कहा की महाकुम्भ सनातन धर्म संस्कृति की दिव्यता और गौरवशाली परंपराओं का प्रतीक बनेगा। महाकुंभ में श्रद्धालुओं को दी जा रही सुविधाएं काफी अच्छी रही। श्रद्धालु महाकुंभ नगर पहुंचकर सपरिवार देवी देवताओं का दर्शन पूजन कर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं। मोक्ष की भूमि गया जी धाम से महाकुंभ में स्नान करने के लिए प्रतिदिन मेल एक्सप्रेस और कुंभ स्पेशल ट्रेन से भारी संख्या में श्रद्धालु जा रहे हैं। गया जंक्शन के प्लेटफार्म पर खचाखच भीड़ लगी हुई है।एक आंकड़े के अनुसार अब तक लगभग 49.11 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई है। 26 फरवरी महाशिवरात्रि के अवसर पर अंतिम अमृत स्नान होगा। बुजुर्ग महिला सीता गिरी बताती है कि 144 वर्षों के बाद लगने वाले इस महाकुंभ में पहली बार त्रिवेणी संगम में स्नान कर तन मन में स्फूर्ति आई। वाकई में प्रयागराज की पावन भूमि भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक प्रतीक है। स्नान करने के बाद लौटी वीणा गिरी बताती है कि श्रद्धा का विशाल आयोजन विश्व भर के लोगों को आकर्षित कर रहा है।

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