Wednesday, March 12, 2025
HomeUncategorizedहाफ़िज़ मोहम्मद मिराज आलम सलमा ने मुकम्मल किया कुरआन

हाफ़िज़ मोहम्मद मिराज आलम सलमा ने मुकम्मल किया कुरआन

आमस।दारुल उलूम इमाम अहमद रज़ा सियहौली, नज़दीक शेरघाटी, गया के छात्र हाफिज़ मोहम्मद मिराज आलम (पुत्र मोहबूब आलम अंसारी, मनसारा, औरंगाबाद) ने वह कारनामा अंजाम दिया है, जिसे बहुत कम हाफिज़ ही कर पाते हैं। एक बैठक में पूरा कुरआन सुनाना कोई आसान काम नहीं होता, बल्कि यह वही कर सकता है, जिस पर अल्लाह की खास रहमत और कृपा हो।

मौलाना मोहम्मद ताहिर रज़ा जामई (नाज़िम-ए-आला, दारुल उलूम) ने बताया कि हाफिज़ मोहम्मद मिराज आलम ने 11 शाबानुल मुअज़्ज़म को लगभग 11 घंटे में यह महान कार्य पूरा कर दिखाया। उन्होंने साबित कर दिया कि मेहनत, लगन और अल्लाह की तौफ़ीक़ से कोई भी बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

इस मुबारक महफ़िल में मौलाना मोहम्मद ताहिर रज़ा जामई ने कहा कि इस छात्र ने दो साल में पूरा कुरआन हिफ्ज़ किया और एक साल तक इसे दोहराने के बाद एक ही बैठक में मुकम्मल कुरआन सुनाया। उनके उस्ताद और माता-पिता इस उपलब्धि के लिए बधाई के पात्र हैं।

मोलाना गुलाम अशरफ ने इस मौके पर कहा कि हाफिज़ मोहम्मद मिराज आलम की यह उपलब्धि कुरआन से सच्ची मुहब्बत की मिसाल है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

इस मौके पर मदरसे के उस्ताद हाफिज़ मोहम्मद आसिफ़ रज़ा, मौलाना ग़ुलाम अशरफ़, और बाहर से आए विशेष मेहमान हज़रत कारी अब्दुल क़ादिर हशमती और मौलाना इहतिशामुल हक़ सहित कई अन्य उलमा-ए-कराम, हाफिज़, और मदरसे की कमेटी के सदस्य मोहम्मद सरफ़राज़ खान (सचिव), अमीरुद्दीन खान (ख़ज़ांची), हाजी वज़ाहत हुसैन, मोहम्मद असलम खान, मोहम्मद अशरफ खान, मोहम्मद इकबाल अंसारी आदि मौजूद थे।

महफ़िल के दौरान उपस्थित लोगों ने उनकी तजवीद, खूबसूरत लहजे, और ग़ैर-मामूली याददाश्त की बहुत तारीफ की। जैसे ही उन्होंने कुरआन मुकम्मल किया, दशकों ने उन पर फूल बरसाए और उनकी मेहनत व कुरआन से मुहब्बत को सराहा।

महफ़िल के अंत में विशेष दुआ की गई, जिसमें उम्मत-ए-मुस्लिमा की भलाई, एकता और तरक्की के लिए दुआएं मांगी गईं। श्रोताओं ने इस पवित्र आयोजन को एक रूहानी और ईमान अफरोज़  क्षण करार दिया।

RELATED ARTICLES

Most Popular