वजीरगंज। प्रखंड के ओरैल निवासी सह अर्जक नेता 74 वर्षीय सुरेश प्रसाद की शनिवार की सुबह मृत्यु हो जाने के उपरांत उनकी बहु निशा कुमारी , बेटी रेखा कुमारी, पोती पम्मी, पल्लवी, नातिन अंजलि प्रिया और गांव की ढेर सारी महिलाओं ने अरथी को कंधा देकर शमशान घाट पहुंचाया । शव को ले जाने के क्रम में वहां मौजूद लोगों ने जीना मरना सत्य है… प्रकृति का यही गति है… सुरेश प्रसाद अमर रहे… अर्जक संघ जिंदाबाद….के नारे लगा रहे थे। जुलूस का नेतृत्व अर्जक संघ सांस्कृतिक समिति के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुमार पथिक के अलावा मृतक के पुत्र रजनीकांत रवि, अविनाश कुमार, नागमणि प्रसाद, सीता राम प्रसाद, पूर्व मुखिया कैलाश महतो, पंचायत समिति सदस्य शशि भूषण कुमार,रामानंद प्रसाद , जितेंद्र अर्जक, बिंदेश्वर प्रसाद, सहदेव प्रसाद, सुजीत कुमार, यमुना प्रसाद, अमरेश कुमार, विनय कुमार,बच्चन शोषित आजाद,प्रिंस कुमार, आदि कर रहे थे। इस अवसर पर रविभूषण सिन्हा , अरविंद वर्मा, अमरेंद्र कुमार, अमित कुमार के अलावा सैकड़ों ग्रामीण शामिल थे।
शव यात्रा को नेतृत्व कर रहे अर्जक संघ के वरिष्ठ नेता उपेन्द्र कुमार पथिक ने बताया कि महिलाओं ने अरथी को कंधा देकर समाज को यह संदेश दिया कि महिला पुरुष बराबर है। महिला सशक्तिकरण का यह उदाहरण है। दाह संस्कार की पुरानी परंपरा विषमता मूलक, अवैज्ञानिक और शोषण पर आधारित है। जबकि अर्जक पद्धति विज्ञानपरक , मानववादी और शोषण से मुक्ति दिलाने वाला है। इसलिए समझदार और साहसी लोग अर्जक पद्धति को ही अपनाते हैं। कम समय, कम खर्च, कम परेशानी, वैज्ञानिक सोच और मानववादी व्यवस्था कायम करना अर्जक पद्धति की खास विशेषता है।
स्मरणीय है कि मृतक सुरेश प्रसाद का पूरा परिवार वर्षों से अर्जक संघ से जुड़े रहे हैं । उनके पुत्र रजनीकांत रवि भी शिक्षक पद पर पदासीन हैं । साथ ही मानववादी व्यवस्था के पोषक हैं।उन्होंने घोषणा किया कि दाह संस्कार के बाद अर्जक पद्धति से ही शोकसभा होगा। कोई भी पुरानी परंपरा का निर्वहन नहीं किया जाएगा।
