Sunday, October 26, 2025
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सीयूएसबी के रसायन विज्ञान विभाग ने राष्ट्रीय रसायन विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय को श्रद्धांजलि अर्पित की

गयाजी।दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के रसायन विज्ञान विभाग ने भारत में रसायन विज्ञान के जनक आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय की 164वीं जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय रसायन विज्ञान दिवस मनाया। कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह के मार्गदर्शन में रसायन विज्ञान विभाग ने छात्रों द्वारा चित्रकला-सह-पोस्टर सत्र और पावरपॉइंट-आधारित मौखिक प्रस्तुतियों का आयोजन करके भारतीय विज्ञान के विकास में आचार्य पीसी राय के अद्भुत योगदान को याद किया। सीयूएसबी के जन संपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि राष्ट्रीय रसायन विज्ञान दिवस मनाने का उद्देश्य आम लोगों के दैनिक जीवन में रसायन विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता पैदा करना है। औपचारिक उद्घाटन के बाद, डीन एवं विभागाध्यक्ष प्रो. अमिय प्रियम ने कहा कि आचार्य जी सर्वोच्च ज्ञान, गुणों और मूल्यों के प्रतीक थे और एक बहुमुखी व्यक्तित्व, एक वैज्ञानिक, एक शिक्षक, एक इतिहासकार, एक उद्यमी और एक परोपकारी व्यक्ति थे जिन्होंने भारत के वैज्ञानिक और शैक्षिक परिदृश्य पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। कलकत्ता विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर के रूप में, उन्होंने आधुनिक विज्ञान को भारत की प्राचीन ज्ञान प्रणाली के साथ जोड़ने पर ज़ोर दिया। प्रो. अतुल प्रताप सिंह ने भी आचार्य जी को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि वे न केवल एक वैज्ञानिक के रूप में उत्कृष्ट थे, बल्कि एक उद्यमी के रूप में भी उनकी कुशाग्रता तब स्पष्ट रूप से दिखाई दी । डॉ. जगन्नाथ रॉय ने एक इतिहासकार और उद्यमी के रूप में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे द्वारा स्थापित बंगाल केमिकल्स कंपनी को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जाने चाहिए। डॉ. गिरीश चंद्र ने कहा कि भारत में प्राचीन काल से ही एक समृद्ध वैज्ञानिक विरासत रही है, हमारी वैज्ञानिक विरासत की समृद्धि और गहराई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिंक-अमलगम बैटरी को 7000 साल पहले ऋषि अगस्त्य के कार्यों में खूबसूरती से समझाया गया था। डॉ. अंगद कुमार सिंह, डॉ. महेंद्र खत्रवत और डॉ. मौनी रॉय ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की और छात्रों को समाज के सामने आने वाली समस्याओं के वैज्ञानिक समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, डॉ. मौनी रॉय ने ‘प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत में चिकित्सा एवं धातुकर्म’ विषय पर चित्रकला-सह-पोस्टर सत्र का संचालन किया। सेलिना अख्तर, ख़ुशी, अनुराग, संध्या, अमित और श्रुति द्वारा बनाए गए पोस्टर सर्वश्रेष्ठ पोस्टरों में से एक चुने गए। तत्पश्चात, ‘भारतीय विज्ञान की उन्नति में ए.पी.सी. रे का योगदान’ विषय पर भाषण-सह-प्रस्तुतीकरण का आयोजन किया गया, जिसका कुशल समन्वयन प्रो. अतुल प्रताप सिंह ने किया। अमित और आयुष द्वारा दी गई प्रस्तुतियों की सभी ने सराहना की और तदनुसार उन्हें पुरस्कृत भी किया गया। पूरे कार्यक्रम का संचालन आयुष शर्मा ने किया। संकाय सदस्य डॉ. गिरीश चंद्र, डॉ. अंगद कुमार सिंह और डॉ. महेंद्र खटरवथ ने भी ए.पी.सी. रे को श्रद्धांजलि अर्पित की और बड़ी संख्या में छात्रों द्वारा भाग लेने के उत्साह की सराहना की।

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