Monday, December 8, 2025
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मिट्टी में रची सीख: डायट, गया में पॉटरी व क्ले वर्कशॉप ने जगाई रचनात्मकता

गयाजी।जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट), गया में सत्र: 2024-26 (द्वितीय वर्ष) के डी.एल.एड. प्रशिक्षुओं के लिए  दिनांक 18.11.2025 को पाठ्यक्रम के पेपर ‘कार्य एवं शिक्षा’ के अंतर्गत आज एक अत्यंत शिक्षाप्रद, कलात्मक और अनुभवात्मक पॉटरी एवं क्ले वर्कशॉप का आयोजन किया गया। पूरे दिन परिसर में मिट्टी की सौंधी खुशबू, प्रशिक्षुओं का उत्साह और रचनात्मक ऊर्जा देखते ही बन रही थी। इस वर्कशॉप का उद्देश्य प्रशिक्षुओं को कला एवं कार्य आधारित शिक्षा के महत्व से परिचित कराना और उन्हें हाथों के कौशल के माध्यम से सीखने का अवसर प्रदान करना था। संस्थान के प्राचार्य डॉ अजय कुमार शुक्ला ने अपने संबोधन में कहा कि ‘कार्य आधारित शिक्षा’ डी.एल.एड. प्रशिक्षुओं के समग्र विकास का आधार है। उन्होंने प्रशिक्षुओं द्वारा प्रदर्शित रचनात्मकता, धैर्य और सक्रिय सहभागिता की सराहना करते हुए कहा कि ऐसी गतिविधियाँ शिक्षण को अधिक प्रभावी, अनुभवात्मक और बाल केंद्रित बनाती हैं। डॉ शुक्ला ने प्रशिक्षुओं को आगे भी इसी उत्साह और समर्पण के साथ सीखने तथा भविष्य में इसे विद्यालयी शिक्षण में लागू करने का आग्रह किया।  यह पॉटरी एवं क्ले  वर्कशॉप न केवल एक कलात्मक आयोजन था, बल्कि एक गहन, अनुभवात्मक और शिक्षण-केंद्रित गतिविधि भी रही, जिसने कला, शिक्षा और व्यावहारिक सीखने के संबंध को और अधिक मजबूत करता है।

            कार्यशाला का संचालन संस्थान की कुशल और अनुभवी संकाय सदस्य व्याख्याता श्री गणेश शंकर विद्यार्थी ने अकादमिक प्रभारी श्रीमती निधि नैनम के साथ मिल कर किया। कार्यशाला में स्थानीय कलाकार रामजी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उन्होंने शुरुआत से ही प्रशिक्षुओं के बीच उत्सुकता और जिज्ञासा का वातावरण बनाते हुए मिट्टी की प्रकृति, उसके प्रकार, उसकी तैयारी और उसे आकार देने की प्रक्रिया को अत्यंत सहजता और गहराई से समझाया। उनके मार्गदर्शन में प्रशिक्षुओं ने मिट्टी को गूंधने से लेकर छोटे-छोटे मॉडल और कलात्मक आकृतियाँ तैयार करने तक हर चरण का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त किया। चाक के उपयोग की तकनीक, हाथ से आकृति गढ़ने का कौशल और मिट्टी को संरचनात्मक रूप देने की प्रक्रिया ने प्रशिक्षुओं को न केवल कलात्मक, बल्कि मानसिक रूप से भी समृद्ध किया। उनके द्वारा तैयार किए गए वस्तुओं में उनकी कल्पनाशक्ति, सौंदर्यबोध और रचनात्मक आत्मविश्वास स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। वर्कशॉप केवल कलात्मक अभ्यास भर नहीं थी, बल्कि इसका गहरा शैक्षिक उद्देश्य था। प्रशिक्षुओं ने यह समझा कि कार्य आधारित शिक्षा बच्चों के सर्वांगीण विकास का एक महत्वपूर्ण साधन है। मिट्टी का काम बच्चों में धैर्य, एकाग्रता, सूक्ष्म मोटर स्किल्स, अवलोकन क्षमता और रचनात्मकता को विकसित करता है। शिक्षण में क्ले मॉडलिंग को शामिल करने से सीखने की प्रक्रिया अधिक अर्थपूर्ण, स्पर्शगत और अनुभवात्मक बनती है।

             यह अनुभव प्रशिक्षुओं के लिए अत्यंत समृद्ध साबित हुआ। दिनभर की गतिविधि ने उन्हें मिट्टी की प्रकृति, उसे आकार देने की तकनीक, संतुलन और संरचना बनाए रखने की कला का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया। इसके साथ ही उनमें हाथ–आँख समन्वय, समस्या समाधान क्षमता, सृजनात्मक अभिव्यक्ति, धैर्य, कल्पनाशक्ति और टीमवर्क जैसे कौशल स्वाभाविक रूप से विकसित हुए। इस कार्यशाला संस्थान के सभी संकाय सदस्यों एवं प्रशिक्षुओं ने लकड़ी और इलेक्ट्रॉनिक चाक पर विभिन्न कलाकृतियों का उसह्पुर्वक निर्माण किया यह भी अनुभव किया कि ऐसी गतिविधियाँ कक्षा के वातावरण को जीवंत और बच्चों के लिए अधिक आकर्षक बनाती हैं। वर्कशॉप के अंत में प्रशिक्षुओं द्वारा तैयार की गई कलात्मक वस्तुओं की एक सुंदर प्रदर्शनी लगाई गई, जिसे सभी संकाय सदस्यों ने अत्यंत सराहा। प्रशिक्षुओं की रचनात्मकता, मेहनत और सीखने की प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से दिखाई दी। सभी संकाय सदस्यों ने योजना, मार्गदर्शन, मूल्यांकन और व्यवस्थापन के प्रत्येक चरण में प्रशिक्षुओं को पूरा सहयोग प्रदान किया। संस्थान के वरीय व्याख्याता डॉ गणेश प्रसाद सॉव एवं अन्य व्याख्याताओं श्री चंद्रशेखर कुमार, श्री रोहित कुमार, श्रीमती एकता कनौजिया, श्रीमती वंदना कुमारी, श्रीमती ऋषि राज, श्री श्रीमती रीना कुमारी, श्रीमती सुनीता कुमारी, श्री संजीत कुमार के सक्रिय भागीदारी और सतत प्रोत्साहन से कार्यक्रम की गुणवत्ता और बेहतर हुई। कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन में कर्मी श्री राकेश कुमार, श्री उमेश कुमार, श्रीमती उर्मिला देवी, श्री राजेंद्र कुमार, श्री ओम प्रकाश पंडित, श्री मंसूर अंसारी, श्री प्रीतम कुमार, ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। व्याख्याता श्री गणेश शंकर विद्यार्थी के सशक्त मार्गदर्शन तथा प्रशिक्षुओं की उत्साही सहभागिता ने वर्कशॉप को अत्यंत सफल, सार्थक और यादगार बना दिया।

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