सड़कों पर उतरकर अपने मताधिकार की रक्षा करेगी बिहार की जनता
पटना।9 जुलाई को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर अखिल भारतीय आम हड़ताल व विशेष सघन पुनरीक्षण वापस लेने की मांग पर इंडिया गठबंधन के बिहार बंद व चक्का जाम की पूर्व संध्या पर गया में मशाल जुलूस निकाला गया। समाहरणालय से शुरू हुआ जुलूस जीबी रोड होते टावर चौक पहुंचा जहां सभा का आयोजन किया गया।
सभा का संचालन भाकपा माले जिला सचिव निरंजन कुमार ने किया। सभा को महानगर अध्यक्ष जीतेन्द्र कुमार यादव, कांग्रेस जिलाध्यक्ष संतोष कुशवाहा, माले नगर प्रभारी तारिक अनवर, रीता वर्णवाल, भाकपा जिला मंत्री सीताराम शर्मा समेत कई ने संबोधित किया।
वक्ताओं ने कहा कि बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाया जा रहा विशेष मतदाता पुनरीक्षण भारत के चुनावी इतिहास में एक अभूतपूर्व और चिंताजनक घटना है। यह न केवल असंवैधानिक है, बल्कि करोड़ों लोगों के मताधिकार को संकट में डालने वाला है। इससे पहले ऐसा कोई उदाहरण देश के किसी भी राज्य में नहीं देखने को मिला।
इतिहास में पहली बार चुनाव आयोग ने संविधान की व्याख्या करते हुए ऐसी पुनरीक्षण प्रक्रिया शुरू की है, जो असल में नागरिकता की जांच में बदल गई है।
चुनाव आयोग की नजर में 2003 के बाद बने सभी मतदाता संदिग्ध नागरिक हैं। यहां तक कि 2003 से पहले बने मतदाता भी सुरक्षित नहीं हैं – उन्हें भी फॉर्म भरने को कहा जा रहा है। यदि इनमें कोई त्रुटि रह जाती है, तो उनके नाम भी मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे। यह वही मॉडल है जो असम में एनआरसी के दौरान अपनाया गया था, जिसके गंभीर परिणाम सामने आए – लाखों लोगों को ‘डी वोटर’ घोषित कर दिया गया, कुछ डिटेंशन कैंपों में भेज दिए गए, कुछ को बांग्लादेश भेजने की कोशिश की गई, फिर वापस लाकर उन्हें भारत का नागरिक मान लिया गया। यही खेल अब बिहार में दोहराया जा रहा है। अनुमान है कि 8 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 5 से 5.5 करोड़ लोग इस प्रक्रिया की चपेट में आ सकते हैं।
वक्ताओं ने विशेष रूप से प्रवासी मजदूरों के अधिकारों को लेकर चिंता जताई। चुनाव आयोग का मानना है कि जो लोग बिहार से बाहर रहते हैं -लगभग 20 प्रतिशत-मतदाता सूची से हट सकते हैं। यह रवैया अत्यंत भेदभावपूर्ण है। देश की मेहनतकश जनता, जो किसी अन्य राज्य में काम करने जाती है अपनी जड़ों से नहीं कट जाती। चुनाव के समय वे अपने राज्य लौटते हैं और अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं।
अब स्थिति यह हो गई है कि किसी व्यक्ति को मतदाता बनने से पहले अपनी नागरिकता सिद्ध करनी होगी। यह लोकतंत्र के सार्वभौमिक मताधिकार के सिद्धांत पर सीधा हमला है। संविधान लागू होने के साथ ही भारत में प्रत्येक वयस्क नागरिक को मताधिकार प्राप्त हुआ था, लेकिन आज उसे सीमित और चयनात्मक बनाया जा रहा है।
इंडिया गठबंधन बिहार में चल रही एसआईआर प्रक्रिया को तत्काल रद्द कर पुरानी मतदाता सूची के आधार पर आगामी चुनाव कराने की मांग करता है।
यह आंदोलन आम जनता के अधिकारों से जुड़ा है। हर नागरिक से अपील की जाती है कि वे सड़कों पर उतरें और अपने मताधिकार की रक्षा के लिए संघर्ष में शामिल हों।
कार्यक्रम में महागठबंधन के राजद, कांग्रेस, भाकपा माले, भाकपा, माकपा व वीआईपी और ट्रेड यूनियन में एटक, एक्टू, सीटू व इंटक के नेता कार्यकर्ता शामिल रहे।
मशाल जुलूस में राजद जिला अध्यक्ष मो. नेज़ाम, सुभाष यादव, महानगर अध्यक्ष जीतेन्द्र कुमार यादव, कांग्रेस जिलाध्यक्ष संतोष कुशवाहा, विजय कुमार मिठू, भाकपा माले जिला सचिव निरंजन कुमार, नगर प्रभारी तारिक अनवर, रीता वर्णवाल, भाकपा जिला मंत्री सीताराम शर्मा, मो. याहिया, माकपा के अजय कुमार वर्मा वहीं एटक से कुमार जितेंद्र, अमृत प्रसाद, एक्टू से रामचंद्र प्रसाद, जियालाल प्रसाद, अर्जुन सिंह, श्यामलाल प्रसाद, सीटू से अजय कुमार वर्मा व इंटक से जुड़े सैंकड़ों लोग शामिल थे
