Saturday, October 25, 2025
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कौन थे गोपाल खेमका, जिनकी हत्या से दहला पूरा पटना, BJP से था कनेक्शन, छोड़ गए अथाह संपत्ति।


बिहार के जाने-माने बिजनसेमैन गोपाल खेमका की शुक्रवार (04 जुलाई) रात बिहार की राजधानी पटना में उनके आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना रात करीब 11 बजे की है, जब वह अपने घर की ओर मुड़ रहे थे।
उनका घर गांधी मैदान थाना क्षेत्र के पनाश होटल के पास स्थित ट्विन टावर सोसाइटी में है। हमलावरों ने उन्हें निशाना बनाते हुए मौके पर ही सिर पर गोली मार दी और तुरंत घटनास्थल से फरार हो गए। गोली लगने के बाद गोपाल खेमका की मौके पर ही मौत हो गई।
गोपाल खेमका के हत्याकांड से पूरे पटना में हड़कंप मच गया है। कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठ रहे हैं। सिटी SP सेंट्रल दीक्षा ने बताया कि गोपाल खेमका के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए गया है। CCTV की जांच की जा रही है। आगे की कार्रवाई की जाएगी। घटनास्थल से एक गोली और एक खोखा बरामद हुआ है। गोपाल खेमका से पहले दिसंबर 2018 में उनके बेटे गुंजन खेमका की भी हत्या कर दी गई थी। वह अपने मिल की ओर जा रहे थे, जो हाजीपुर के औद्योगिक क्षेत्र में स्थित है, तभी उन्हें चार गोलियां मारी गई थीं।
कौन थे कारोबारी गोपाल खेमका ?

• गोपाल खेमका बिहार के प्रमुख और प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में भी गिने जाते थे। गोपाल खेमका भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता भी थे।
• गोपाल खेमका ने एमबीबीएस की पढ़ाई की थी और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय थे। पटना स्थित राजेंद्र नगर के मशहूर मगध अस्पताल के वह मालिक थे। ये राज्य के सबसे पुराने प्राइवेट अस्पतालों में से एक है। इसके अलावा उनका पेट्रोल पंप, दवा की दुकानें और फैक्ट्री जैसे कई व्यवसाय भी थे।
• हाजीपुर के औद्योगिक क्षेत्र में उनकी गत्ते की दो फैक्ट्रियां थीं, वहीं पटना के एग्जीबिशन रोड पर उनका एक पेट्रोल पंप भी है। गोपाल खेमका बांकीपुर क्लब के पूर्व सचिव रह चुके हैं और वर्तमान में क्लब के निदेशक मंडल के सदस्य भी थे।
गोपाल खेमका के परिवार में दो बेटे और एक बेटी हैं। बड़े बेटे गुंजन खेमका की हत्या दिसंबर 2018 में कर दी गई थी, जबकि दूसरे बेटे डॉ. गौरव खेमका वर्तमान में आईजीआईएमएस, पटना में चिकित्सक हैं। उनकी बेटी लंदन में रहती हैं।
• अपने बहु-विभागीय व्यवसाय और सामाजिक गतिविधियों के चलते गोपाल खेमका बिहार के प्रभावशाली व्यवसायियों में एक माने जाते थे। गोपाल खेमका अपने पीछे करोड़ों की संपत्ति छोड़ गए हैं।

साल 2018 के दिसंबर में भी गोपाल खेमका के बेटे गुंजन खेमका की हत्या इसी तरह की गई थी। गुंजन खेमका उस समय भारतीय जनता पार्टी के नेता और पार्टी की लघु उद्योग प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक थे। उनकी हत्या हाजीपुर स्थित उनकी कॉटन बैंडेज फैक्ट्री में गोली मारकर की गई थी।
गुंजन की अंतिम यात्रा के दौरान भी यह बात चर्चा में रही कि बीजेपी के शीर्ष नेता नदारद रहे। गांधी मैदान के पास स्थित खेमका परिवार के आवास पर उस दिन कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता जैसे शक्तिसिंह गोहिल, मदन मोहन झा और सदानंद सिंह संवेदना व्यक्त करने पहुंचे, लेकिन भाजपा के बड़े नेताओं की अनुपस्थिति से परिवार आहत नजर आया।
भले ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय दिल्ली से लौटकर शाम को खेमका निवास पहुंचे, लेकिन तब तक परिवार को गहरा धक्का लग चुका था। परिवार ने नाराज होकर गुंजन के पार्थिव शरीर को भाजपा कार्यालय ले जाने की पहले से बनी योजना रद्द कर दी।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक गुंजन के चाचा राम खेमका ने गुलबी घाट श्मशान घाट पर कहा था, “गुंजन हर दिन 3-4 घंटे भाजपा के लिए काम करता था। फिर भी न तो किसी वरिष्ठ नेता ने कुछ कहा और न ही किसी मंत्री ने उसकी हत्या पर आवाज उठाई।” उनके अंतिम संस्कार में केवल कुछ ही भाजपा नेता शामिल हुए, जिनमें विधायक नितिन नवीन, अरुण कुमार सिन्हा और संजीव चौरसिया थे।
व्यवसायी गोपाल खेमका की हत्या पर उनके भाई शंकर खेमका ने कहा, “जैसा कि लोग अक्सर पूछते हैं – क्या कोई धमकी थी, कोई विवाद था, या कोई चेतावनी के संकेत थे -एक परिवार के रूप में हमें ऐसी किसी भी बात की जानकारी नहीं है।”
विधानसभा चुनाव बस कुछ ही महीनों दूर हैं और ऐसे में गोपाल खेमका की हत्या ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस घटना को लेकर विपक्षी दलों ने नीतीश कुमार सरकार के सुशासन के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में बिहार की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर तीखी बहस शुरू हो गई है।
जन अधिकार पार्टी के सांसद पप्पू यादव ने मौके पर पहुंचकर खेमका के परिवार से मुलाकात की और उन्हें सांत्वना दी। उन्होंने इस हत्या को राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर हमला बताया।
वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता ऋषि मिश्रा ने एनडीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा,
“हमें यह समझना होगा कि नीतीश सरकार ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है। माननीय मुख्यमंत्री बेहोशी की स्थिति में हैं। पुलिस को कम से कम बुनियादी खुफिया तंत्र पर काम करना चाहिए था। लेकिन वे तो शराब तस्करों को पकड़ने में व्यस्त हैं ताकि कुछ कमा सकें। जनता का सरकार पर से विश्वास उठ चुका है।”
“गोपाल खेमका एक अच्छे व्यवसायी और महान समाजसेवी थे। उनके घर के पास उनकी हत्या हुई, गांधी मैदान पुलिस स्टेशन पास में ही है… उनके परिवार ने कहा कि पुलिस सूचना मिलने के 1.30 घंटे बाद मौके पर पहुंची। यह प्रशासन के लिए चिंता का विषय है। अधिकारियों को इसे बहुत गंभीरता से लेना चाहिए और हत्यारों को पकड़कर सख्त सजा देनी चाहिए। विपक्ष सिर्फ़ राजनीति के लिए कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है। कानून व्यवस्था नियंत्रण में है, हालांकि, यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है जो नहीं होनी चाहिए थी।”

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