पिछले 18 साल में नीतीश कुमार को विशेष राज्य के दर्जे के लिए प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग करते कब देखा? अपने कैबिनेट के साथ एक सर्वदलीय बैठक तक नहीं की नीतीश कुमार ने
पटना। जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने एक बार फिर से नीतीश कुमार पर हमला बोला है। प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए, लेकिन इससे आपकी-हमारी गरीबी खत्म होने वाली नहीं है। विशेष राज्य का दर्जा मिलने से आपके-हमारे बच्चे पढ़े-लिखे नहीं हो जाएंगे। जब तक बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधारा नहीं जाएगा और पूंजी का निवेश नहीं किया जाएगा, तब विशेष राज्य का दर्जा देने मात्र से क्या हो जाएगा? पहले तो हमें यह समझने की जरूरत है कि विशेष राज्य का दर्जा मिल जाने से होता क्या है? अभी केंद्र सरकार की योजना जो चलती है, उसमें 60 प्रतिशत केंद्र दे रहा है और 40 प्रतिशत राज्य दे रहा है। विशेष राज्य का दर्जा जब बिहार को मिल जाएगा, तब बिहार को 10 प्रतिशत देना पड़ेगा और 90 प्रतिशत केंद्र की सरकार देगी।
बिहार को पिछड़े राज्य के तहत पहले से ही वह पैसा मिल रहा है। लेकिन मान लीजिए कि बिहार को 90 प्रतिशत मिलने भी लगे तो क्या परिवर्तन हो जाएंगे? मनरेगा से मिलने वाले पैसे हम दिल्ली से लेकर आए नहीं। आवास योजना में बिहार सरकार का उपयोग 60 प्रतिशत है, 40 प्रतिशत दिल्ली से लाए ही नहीं। किसानों को जो प्रधानमंत्री योजना के तहत पैसा मिलना है, वह सबसे कम देश भर में बिहार के लोगों को मिल रहा है। तो जो लाभ बिहार सरकार को मिल रहा है, उसे उचित तरीके से प्रयोग में लाया ही नहीं जा रहा है। बिहार की जनता को बस बेवकूफ़ बनाना है कि विशेष राज्य का दर्जा बिहार को मिलना चाहिए। अगर विशेष राज्य का दर्जा बिहार को मिलना भी चाहिए था, तो 5 साल में सरकार की नींद क्यों खुलती है? मुझे एक खबर दिखा दीजिए जिसमें नीतीश कुमार पूरे कैबिनेट के साथ दिल्ली गए हों प्रधानमंत्री से मिलने विशेष राज्य के दर्जे की मांग के लिए।