देश में ऐसा कोई मुख्यमंत्री नहीं जिनके जाति के लोग राज्य में सबसे अधिक हों, बिहार में बड़ी चालाकी से जाति लोगों के दिमाग में बैठाया गया है, ताकि नए लोग राजनीति में आकर प्रयास ही न करें
पटना।जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने जाति पर अपनी राय रखते हुए कहा कि देश में चुनाव में जाति की प्रमुखता है, मैं यह नहीं कहता हूं कि जाति राजनीति में हावी नहीं है मगर जाति ही राजनीति को तय करती है इस बात में पूरी सच्चाई नहीं है। देश और बिहार में लोगों ने बहुत चालाकी से यह बात लोगों के दिमाग में बैठाई है ताकि नए लोग राजनीति में आकर प्रयास ही न करें। बिहार के लोगों ने कभी सोचा कि नीतीश कुमार के जाति के लोग बिहार में कितनी संख्या में रहते हैं? लालू यादव के जाति के कितने लोग बिहार में रहते हैं। मैं आपको एक आकड़ा देता हूं जब भी आपको लगे कि हमारे जाति के लोग जब अधिक होंगे तभी हम राजनीति कर सकते हैं, तो इस बात में आपको एक जरा भी सच्चाई नहीं दिखेगी। देश में अलग-अलग राज्यों में जितने भी मुख्यमंत्री हैं, उसमें कोई भी ऐसा मुख्यमंत्री नहीं है, जिसकी जाति उस राज्य में सबसे ज्यादा हो। ये आपका हमारा भ्रम है कि हमारी जाति के अधिक लोग होने से ही हम राजनीति में आ सकते हैं। अगर पीतल और सोना रखा जाए तो किसी भी जाति के लोग हों वो सोना ही उठाएंगे। जन सुराज इसी सोना को खोजने में लगा है जिससे समाज का भला हो सके।