22 वर्षों से क्षेत्र में शिक्षा की रौशनी फैला रहे हैं” अली सर “,दर्जनों बार हुए हैं सम्मानित,सैकड़ों अनाथ बच्चों को दे चुके हैं मुफ्त शिक्षा



गया जिला के आमस प्रखंड क्षेत्र के अकौना पंचायत अंतर्गत बैदा गाँव निवासी मो अली गत 22 वर्षों से क्षेत्र में शिक्षा की रौशनी फैला रहे हैं.मध्य विद्यालय अकौना में  शिक्षक के रूप में कार्यरत मो अली वर्ष 2003 से क्षेत्र में शिक्षा का अलख जला रहे हैं.क्षेत्र में अली सर के नाम से चर्चित मो अली बताते हैं कि वर्ष 2000 के आसपास सरकारी स्कूलों की स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी.एक ओर जहाँ शिक्षकों का काफ़ी अभाव था वहीं भवन की स्थिति भी बेहतर नहीं थी.कमरे कम थे.गाँव के लोग अपने नौनीहालों की पढ़ाई को लेकर चिंतित रहते थे.ग्रामीणों की चिंता और शिक्षा के प्रति लगाव को लेकर अली ने गाँव में एक बैठक की और इबरार अली, जमील अख्तर और मो फैयाज़ आदि साथियों के साथ मिलकर गाँव में “बैदा स्टूडेंट्स फ़ोर्स”नाम का छोटा सा ग्रामीण संगठन बनाया.वह बताते हैं की यह संगठन कोरमथू गाँव के शाहिद इक़बाल आदि से प्रभावित होकर बनाया था जो अपने गाँव में शाहीन फ़ोर्स नाम से छात्रों का संगठन चलाते थे और शिक्षा व सामाजिक क्षेत्र में काम करते थे .संगठन के तहत गाँव के सदस्यों के साथ अली ने गाँव में बच्चों और उनके अभिभावकों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना शुरू किया.एक छोटा पुस्तकालय भी स्थापित किया गया.अली साथियों के साथ प्रतिदिन गाँव में घर घर घूमते थे और जो बच्चे स्कूल नहीं जाते थे उन्हें स्कूल पहुंचाते थे.बच्चों का नामांकन करवाते थे.इसके अलावा साथियों के साथ उर्दू प्राथमिक वि बैदा में निःशुल्क क्लास भी लेते थे क्योंकि सरकारी शिक्षकों की संख्या कम थी और बच्चे अधिक हो गए थे.यह सिलसिला कई माह तक चला लेकिन किसी कारण से संगठन समाप्त हो गया. इसी बीच वर्ष 2003 में पिताजी मो नईमुद्दीन की सलाह पर गाँव के लोगों से राय लेने के बाद अली ने गाँधी आज़ाद पब्लिक स्कूल के नाम से चाचा के मकान के दो कमरों में ही स्कूल की स्थापना कर दी.वह बताते हैं कि ग्रामीणों के सुझाव पर छात्रों से मात्र बीस रूपये महिना फीस लेकर भाई बहनों के साथ मिलकर बच्चों को तालीम देना प्रारम्भ कर दिया.कुछ ही वर्षों में यह स्कूल इलाके के गरीब,मजदूर और किसान आदि के बच्चों के लिए वरदान साबित होने लगा. इस स्कूल की विशेषता यह रही की यहाँ क्षेत्र के अनाथ छात्र छात्राओं को बिल्कुल मुफ्त शिक्षा दी जाने लगी जो अबतक जारी है.अली द्वारा स्थापित गांधी आज़ाद पब्लिक स्कूल शिक्षा का एक ऐसा सेंटर बन गया है, जिसने ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए असंभव को संभव बना दिया.काफ़ी कम फीस में यहाँ से शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र-छात्रा आईआईटियन, मेडिकल क्षेत्र, इंजिनियर और शिक्षक आदि बन कर देश विदेशी में क्षेत्र का नाम रौशन कर रहे हैं.अली को शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए पटना में बिहार के तत्कालीन शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ,गया में अल फ़लाह यूनिवर्सिटी हरियाणा,और मगध रत्न आदि सम्मान से नवाज़ा जा चूका है.खपडैलनुमा ग्रामीण स्कूल की विशेषता को सुनकर गाँधी आज़ाद पब्लिक स्कूल में मगध के तत्कालीन कमीशनर के पी रमैया, तत्कालीन एसडीएम (आइएएस)डॉ आशिमा जैन, तत्कालीन मंत्री तारिक अनवर,शकील अहमद खान, एमपी इसरारूल हक़ क़ासमी और तत्कालीन एसडीओ ज्योति कुमार,और किशोरी चौधरी आदि ने पहुंच कर सराहना की थी.निजी स्कूल से शिक्षा की रौशनी फैलाते फैलाते अली  सरकारी शिक्षक बन गए और गाँधी आज़ाद पब्लिक स्कूल की पूरी जिम्मेवारी अपने छोटे भाई शौकत अली को सौंप दी.फिलहाल शौकत अली स्कूल को अच्छे से संचालित कर रहे हैं और अनाथ बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जा रही है.अली बताते हैं कि अब सरकारी स्कूलों की स्थिति बहुत बेहतर है.लगभग सभी स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक,भवन,कमरे, शौचालय और पेयजल की सुविधा उपलब्ध है.छात्र छात्राओं को पुस्तकालय और कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जा रही है.सभी बच्चों को खाने के लिए बेहतर भोजन और पुस्तकें दी जा रही है.अब सरकारी स्कूल में भी काफ़ी अच्छी पढ़ाई हो रही है.

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