सीयूएसबी में बड़े उत्साह के साथ मनाया गया केरल का राज्य उत्सव उत्तरोणम

गया।दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) में विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमों में अध्ययनरत केरल के छात्रों ने “उत्तरोणम” शीर्षक के तहत केरल का राज्य उत्सव मनाया और नृत्य, संगीत और बहुत कुछ के साथ अपनी संस्कृति का मनमोहक प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का उद्घाटन सीयूएसबी के कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह ने कुलसचिव प्रो नरेंद्र कुमार राणा, डिप्टी प्रॉक्टर डॉ मंगलेश कुमार मंगलम, डॉ गुरु प्रकाश और कई अन्य गणमान्य संकाय सदस्यों, छात्रों और अतिथियों की उपस्थिति में किया। अपने उद्घाटन भाषण में कुलपति प्रो के. एन. सिंह ने मलयाली छात्रों की पहल और उनके अनोखे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में  इस तरह के कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की सुविधा प्रदान करनी चाहिए ताकि सांस्कृतिक आदान-प्रदान और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिले। कुलपति महोदय ने कहा कि मलयाली छात्र इस परिसर को अपने सांस्कृतिक प्रदर्शन से जीवंत कर देते  हैं।

जन संपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि कार्यक्रम का समग्र समन्वय अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर कृष्णन चालिल ने किया | केरल के निवासी प्रोफेसर चालिल ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि ये त्यौहार पवित्र समय की वापसी और मानव जाति के लिए इसकी पौराणिक स्वर्ग स्थिति का जश्न मनाते हैं। केरल का फसल उत्सव ओणम पौराणिक असुर राजा ‘महाबली’ की पाताल लोक से अपने पूर्व राज्य, केरल की भूमि पर वार्षिक यात्रा का स्मरण कराता है। यह मलयालम कैलेंडर के पहले महीने (चिंगम) में मनाया जाता है, जो दस दिनों तक चलता है, जो ‘अथम’ के दिन से शुरू होता है और ‘थिरुवोणम’ के दिन समाप्त होता है, जिससे त्यौहार का नाम ‘ओणम’ पड़ा। इस अवसर को केले के पत्तों पर परोसे गए भव्य शाकाहारी भोज, फूलों की कलाकृति (रंगोली/पूकलम), विभिन्न प्रकार के प्रतिस्पर्धी खेलों (नाव दौड़, रस्साकशी, मार्शल आर्ट), बाघ नृत्य (पुलिकाली), महिलाओं द्वारा लोक नृत्य (थिरुवथिराकालि, थंबिथुलाल) और महाबली की भावना और स्वर्ण पौराणिक युग को गले लगाते हुए कई गाथागीत गाकर मनाया जाता है।

ओणम के संदेश की भावना को ध्यान में रखते हुए, मलयाली छात्रों ने ओपनएयर ऑडिटोरियम में रंगोली, थिरुवथिराकालि, समूह नृत्य, वट्टापट्टू, रस्साकशी, बोरी दौड़, नींबू चम्मच दौड़, मटकी फोड़ आदि सहित कई सांस्कृतिक कार्यक्रम उत्साहपूर्वक प्रस्तुत किए। आयोजकों ने कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को ‘पयसम’ (खीर) परोसी। ओणम समावेशिता, धर्मनिरपेक्षता, प्रेम और करुणा के महत्व की याद दिलाता है। कार्यक्रम  के सफल आयोजन में मलयाली छात्रों ज़मील, मुंशीद, एंसी, नाज़िम, जमशीर, आरती, जस्नी, थाहानिया, असना, सालेह, ऐश्वर्या, नक्षत्र, मन्नान और श्रुति ने अहम भूमिका निभाई। कार्यक्रम का संचालन जोशवा और आसिफा ने किया।

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