150 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर बनाया गया नया कानून देश को नामंजूर*
*लोकतांत्रिक भारत को पुलिस राज में बदलने की हो रही कोशिश*
गया।औपनिवेशिक काल के कानूनों से भी ज्यादा दमनकारी नए अपराध कानूनों के कार्यान्वयन के खिलाफ भाकपा माले द्वारा देशव्यापी कार्यक्रम के तहत गया में प्रदर्शन किया गया।
माले कार्यकर्ताओं का मार्च अंबेडकर पार्क से जीबी रोड होते हुए टावर चौक पहुंचा जहां सभा का आयोजन किया गया।
सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले नगर प्रभारी तारिक अनवर ने कहा कि मोदी सरकार के नए क्रिमिनल कोड नागरिक स्वतंत्रताओं और अधिकारों का हनन करने सरकारी दमन बढ़ाने के औजार हैं। देश में लागू किया जा रहा नया कानून राजद्रोह से भी खतरनाक है।
इतना ही नहीं भूख हड़ताल को अपराध बना दिया गया है- ये सभी वैध असहमति और कानूनी उग्र लोकतांत्रिक प्रतिवादों को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। पुलिस को अनियंत्रित शक्तियां दे दी गयी हैं, जिनका देश में नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
सबसे हतप्रभ करने वाली बात यह है कि पुलिस अभिरक्षा की अवधि को वर्तमान 15 दिन से बढ़ा कर 60 या 90 दिन (अपराध की प्रकृति के अनुसार) कर दिया गया है, जो कि आरोपी व्यक्ति को धमकाए जाने, उत्पीड़न और खतरे में डालेगा।
माले नेताओं ने कहा कि इतने बड़े बदलाव को मोदी सरकार ने बिना संसदीय चर्चा के 150 से अधिक विपक्षी सांसदों को निलंबित कर महज कुछ घंटों में पास कर दिया जो लोकतंत्र के लिए कहीं से भी सही नहीं है।
आज देश में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है, पेपर लीक हो रहा है इन सवालों पर सरकार ठोस बात करने के बजाय उल्टा जनता के खिलाफ नये नये काला कानून बना कर लागू करने में व्यस्त है। साथ ही फ़ौजदारी मामलों का 3.4 करोड़ मुकदमें लंबित है, उसके बीच में इन तीन क़ानूनों को लागू करना, दो समानांतर कानूनी व्यवस्थाएं उत्पन्न करेगा, जिससे और बैकलॉग बढ़ेगा तथा पहले से अत्याधिक बोझ झेल रहे न्यायिक तंत्र पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा।
कार्यक्रम में रामचंद्र प्रसाद, मो. शेरजहां, शिशुपाल कुमार, पारो देवी, शंभू राम, रामानंद सिंह, आमिर तुफैल खान, सिद्धनाथ सिंह, श्रीचंद दास, बरती चौधरी, तेतरी देवी, रसोइया संघ की राज्य अध्यक्ष विभा भारती, सुरेश पासवान समेत बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थीं।