गया।गया जिले के बोधगया प्रखंड में सीएमआर के द्वारा खराब गुणवत्ता का चावल भेजे जाने का मामला थमने के बाद भी प्रखंड के जनवितरण दुकानदार काफी परेशान हैं। डीएसडी संवेदक के द्वारा जनवितरण दुकानदारों को बोरा के बराबर वजन का अनाज तक नही दिया जा रहा है।इतना ही नहीं जनवितरण दुकानदारों को पोलदारी का पैसा भी घर से देना पड़ रहा है।एक डीलर ने बताया की गोदाम से बिना तौल किए ही अनाज का डिस्पैच किया जाता है। डीएसडी के संवेदक गजेंद्र कुमार के द्वारा डीलर को अरवा और उसना चावल देने की बात कह कर अवैध राशि के लिए दोहन किया जाता है।एक ही दिन में 6 पंचायत के डीलर को बुला कर उनसे गोदाम पर अरवा ऊसना चावल ले जाने के लिए डील किया जाता है।गौरतलब है डोर स्टेप डिलीवरी संवेदक के द्वारा एसएफसी से पोलदारी के तौर पर 20 रुपया प्रति बोरा लिया जाता है।इसके बाबजूद जनवितरण दुकानदारों को पोलदारी तक नही मिलती है।कई जनवितरण दुकानदारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की हमलोग दोनो तरफ से परेशान है।गोदाम से कम अनाज दिए जाने और पोलदारी नही दिए जाने की शिकायत करने पर भी कोई कारवाई नही होती।वही लाभुको को कम खाद्यान्न देने पर ही हल्ला हंगामा होता है।
एक ट्रांसपोर्टर के चंगुल में पूरा जिला।
गया जिले में विभिन्न प्रखंड में अलग अलग डीएसडी की बहाली की जानी है।इसके लिए टेंडर निकले हुए भी दो साल होने को है।टेंडर खुलने के बाद टेक्निकल जांच के बाद सही पाए गए आवेदको में से नए लोगो को अभी तक डीएसडी नही बनाया गया है।इसके बजाय एसएफसी के टेंडर को जान बूझ कर मार्गदर्शन के नाम पर टाला जा रहा है। सूत्रों की मानें तो वर्तमान में डीएसडी और मेन ट्रांसपोर्टर की राजनीतिक पहुंच और दबाव के कारण एसएफसी के अधिकारी भी मौन धारण किए हुए हैं।जिले में नियमो को ताक पर रख कर मनमाने तरीके से अनाज ढुलाई की जा रही है।शेरघाटी अनुमंडल इलाके में एसडीएम के निर्देश के बाद दो मामले में डोर स्टेप डिलीवरी संचालक की भूमिका पाई गई।इसके बाबजूद कोई कारवाई ट्रांसपोर्टर के खिलाफ नही होना भी संदेह के घेरे में हैं।इस मामले में जिला प्रबंधक राजीव कुमार सिंह ने बताया की जिला परिवहन समिति के अध्यक्ष के पास टेंडर की फाइल है।उन्ही के निर्देश पर अग्रेतर कारवाई की जाएगी।