गया।दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) में ‘जैविक एवं पारिस्थितिकी अनुसंधान में जैव सांख्यिकी विधियों के अनुप्रयोग’ पर राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई । जन संपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि कार्यशाला का आयोजन सीयूएसबी के लाइफ साइंस विभाग एवं रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल (आरडीसी) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। कार्यशाला लाइफ साइंस विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राम प्रताप सिंह को एसईआरबी द्वारा प्रदान की गई वित्तपोषित परियोजना के तहत एसएसआर (वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व) गतिविधि का हिस्सा थी | कार्यशाला का आयोजन जैव सांख्यिकी की बुनियादी समझ प्रदान करने के लिए किया गया जो जैविक अनुसंधान का एक अभिन्न अंग है। कार्यशाला में सीयूएसबी के साथ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (दरभंगा); पटना विश्वविद्यालय जैसे बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों से कुल 30 प्रतिभागियों ने भाग लिया | प्रतिभागियों ने अपने शोध के लिए कार्यशाला की विषय-वस्तु और उपयोगिता की सराहना करते हुए इसे उपयोगी बताया बताया ।
औपचारिक उद्घाटन के बाद कार्यशाला के संयोजक प्रो. डी.वी. सिंह, निदेशक, आरडीसी, सीयूएसबी ने संसाधन व्यक्तियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया | उन्होंने एसईआरबी द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं में एसएसआर गतिविधि की भूमिका का वर्णन किया। वहीं प्रो. राम प्रताप सिंह ने कार्यशाला को सफल बनाने में सहयोग के लिए डॉ. गौतम कुमार, डॉ. अमृता श्रीवास्तव, डॉ. संजय कुमार, डॉ. नवीन कुमार सिंह और डॉ. मनोज पांचाल के प्रयासों की प्रशंसा की।
कार्यशाला में प्रतिभागियों को वैज्ञानिक पद्धति के नियम और सिद्धांत, परिकल्पना और परिकल्पना का परीक्षण, डेटा संग्रह और विश्लेषण/नमूना सिद्धांत, परिणामों की व्याख्या और सामान्यीकरण, वर्णनात्मक सांख्यिकी, यादृच्छिक चर, यादृच्छिक चर का वितरण, द्विपद और सामान्य वितरण, गैर-पैरामीट्रिक परीक्षण, सहसंबंध और प्रतिगमन, छात्र का टी-परीक्षण आदि विषयों पर चर्चा की गई | साथ-ही-साथ प्रतिभागियों को अपने स्वयं के डेटा पर डेटा विश्लेषण का व्यावहारिक अनुभव करने का अवसर मिला । इस कार्यशाला में डॉ. पी. ए. अजीज, पूर्व निदेशक, सलीम अली पक्षी विज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केंद्र, कोयंबटूर, तमिलनाडु, प्रोफेसर आर. पी. सिंह आदि संसाधन व्यक्ति थे।
कार्यशाला के संरक्षक के रूप में सीयूएसबी के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने छात्रों, शोधकर्ताओं और संकाय सदस्यों को जैव सांख्यिकी और उनके शोध कार्य में इसके उपयोग के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए ऐसी कार्यशालाओं की आवश्यकता पर बल दिया। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि प्रत्येक शोधकर्ता अपने शोध में परिणामों की व्याख्या करने के लिए सांख्यिकी/जैव सांख्यिकी का उपयोग करता है, इसलिए प्रत्येक शोधकर्ता के लिए जैव सूचना विज्ञान की समझ होना आवश्यक है ।