गया के फतेहपुर थाना क्षेत्र में अवैध बालू खनन का एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें कई स्थानीय प्रभावशाली लोगों के नाम जुड़े हुए हैं। खान निरीक्षक काशिफ कमाल की ओर से दिए गए आवेदन के अनुसार, बादर नदी से बड़े पैमाने पर अवैध बालू खनन और परिवहन का कारोबार संगठित रूप से संचालित किया जा रहा था। निरीक्षक कमाल ने पुलिस टीम के साथ मिलकर यशपुर, बदउँवा, आमीन और नीमी घाट पर छापेमारी अभियान चलाया, जिसमें अवैध खनन के पुख्ता साक्ष्य मिले।
छापेमारी में 27,800 घनफीट अवैध खनन का खुलासा
सुबह 6:15 बजे से 8:00 बजे तक चली इस छापेमारी में पुलिस टीम ने घाटों पर उत्खनित गड्ढों और ट्रैक्टर के टायरों के निशान पाए, जिनसे करीब 27,800 घनफीट बालू के अवैध खनन का अंदेशा हुआ। इस खनन को लेकर कई प्रमुख आरोपियों के नाम सामने आए, जिनमें राकेश कुमार उर्फ लालू, शंकर यादव, फागु यादव, विक्रम सिंह उर्फ फोटी, सुजीत कुमार भारती सहित कुल 30 से अधिक व्यक्तियों को शामिल बताया गया है।
पुलिस और प्रशासन पर नजर रखने के लिए नाबालिगों का इस्तेमाल
खान निरीक्षक के अनुसार, अवैध खनन में शामिल गिरोह नाबालिग बच्चों का भी उपयोग कर रहा था। इन बच्चों को मोबाइल फोन देकर नदी घाट के पास चौक-चौराहों पर निगरानी के लिए तैनात किया जाता था ताकि पुलिस और प्रशासन के आने-जाने की गतिविधियों की जानकारी गिरोह तक पहुंचाई जा सके। इस व्यवस्थित तरीके से खननकर्ताओं ने बालू की चोरी को अंजाम देकर सरकार के राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाया है।
कानून के उल्लंघन और संगठित गिरोह का खुलासा
सूचना के अनुसार, यह गिरोह न केवल अवैध खनन में संगठित तरीके से जुड़ा है, बल्कि बालू के परिवहन और बिक्री में भी आपसी सहायता से सक्रिय है। बिहार खनिज (समानुदान, अवैध खनन, परिवहन, भंडारण, निवारण) नियमावली 2019 और 2024 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए इन व्यक्तियों ने स्थानीय बाजारों में बालू बेचा, जिससे बिहार सरकार को राजस्व हानि का सामना करना पड़ा।
फतेहपुर थाने में दर्ज प्राथमिकी के तहत आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता, एमएम (डी एंड आर) एक्ट 1957 की धारा 4 (1A) और बिहार खनिज नियमावली के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। पुलिस अब इस गिरोह की अन्य गतिविधियों की भी जांच कर रही है, ताकि अवैध खनन को जड़ से समाप्त किया जा सके।
प्रशासन का कड़ा रुख
इस मामले में पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। अवैध खनन के इस संगठित नेटवर्क के कारण राज्य सरकार को न केवल राजस्व की हानि हुई है, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन भी हुआ है।