गया।दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के भाषा एवं साहित्य पीठ द्वारा भारतीय भाषा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. अनुज लुगुन को ‘मलखान सिंह सिसौदिया’ पुरुस्कार मिलने पर एक विशेष सम्मान समारोह आयोजित किया गया। जन सम्पर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि डॉ. अनुज लुगुन को उनके काव्य संग्रह ‘अघोषित उलगलान’ के लिए ‘मलखान सिंह सिसौदिया’ पुरुस्कार प्राप्त हुआ है | इस विशेष कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. सुरेश चंद्र, विभागाध्यक्ष भारतीय भाषा विभाग ने की एवं प्रो. विपिन कुमार सिंह, अधिष्ठाता, भाषा एवं साहित्य पीठ मुख्य वक्ता के रूप में शामिल रहे। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. सरोज कुमार, अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विभाग ने तथा संचालन पवन कुमार पांडेय, शोधार्थी, भारतीय भाषा विभाग ने किया।
औपचारिक उद्घाटन के पश्चात सहायक प्राध्यापक एवं कवि डॉ. अनुज लुगुन ने ‘अघोषित उलगलान’ से कविता ‘ग्लोब् और ‘घड़ी की बात’ का पाठ करते हुए सभ्यता और टकराव के बीच अपनी विरासत को बचाने की बात कही। इस अवसर पर अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विभाग में प्रोफेसर (प्राध्यापक) के पद पर नव नियुक्ति होने पर डॉ. अर्चना कुमारी को भी सम्मानित किया गया | अपने सम्बोधन में प्रो. अर्चना कुमारी ने कहा कि व्यक्ति को हमेशा सहज और प्रयत्नशील होना चाहिए तथा सदा अपने कर्म के प्रति ईमानदार होना चाहिए, सफलता आपने आप आपके पास आएगी ।
मुख्य वक्ता प्रो. विपिन कुमार सिंह ने कहा कि डॉ. अर्चना कुमारी की इतनी कम उम्र में पदोन्नति वाकई सराहनीय है | उन्होंने कहा कि डॉ. अनुज लूगुन अपनी उपलब्धियों की वजह से आज तमाम विश्वविद्यालयों में जाने जाते हैं जो बड़ी बात है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर एवं वरिष्ठ साहित्यकार सुरेश चंद्र ने डॉ. अर्चना कुमारी एवं डॉ. अनुज लुगुन को बधाई देते हुए कहा कि साहित्य संवेदना की वस्तु है और साहित्यकारों को संवेदनशील होना चाहिए। भाषिक क्षमता में वृद्धि कैसे करें इस पर उन्होंने ध्यान देने को कहा ।
कार्यक्रम में भाषा एवं साहित्य पीठ के अन्य प्राध्यापक गण डॉ. रामचंद्र रजक, डॉ. शान्ति भूषण, डॉ. कफील अहमद, डॉ. कर्मानंद आर्य, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. अर्पण झा, डॉ. अभय, डॉ. सुरेश कुरापाटी उपस्थित रहे | भाषा पीठ के विद्यार्थी – शोधार्थियों से ज्ञान्ति, सीमा, नीलम, सुभांगी, दीप ज्योति, विवेक, रुद्र, स्मुर्ती, उषा, नितीश आदि उपस्थित रहे ।अंत में डॉ. सरोज़ कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए कहा कि जो शिक्षा हम ग्रहण करते हैं उसे हमारे व्यवहार में भी उतरने की उतनी ही जरूरत है।